
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एअर इंडिया के खिलाफ दायर इंडियन एअरलाइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन की याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि है कि एयरलाइन का नियंत्रण अब सरकार के हाथ में नहीं है, इसलिए यह अदालत के रिट क्षेत्राधिकार में नहीं आती। एसोसिएशन ने वेतन और भत्तों के बकाए की अदायगी की मांग करते हुए यह याचिका लगाई थी।
2016 में दायर हुई थी याचिका
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ज्योति सिंह ने कहा कि जब 2016 में यह याचिका दायर की गई थी तब यह सुनवाई के लायक थी, क्योंकि उस वक्त एअर इंडिया एक सार्वजनिक कंपनी थी, और सरकार के नियंत्रण में थी। लेकिन फिलहाल कंपनी की स्थितियां वैसी नहीं हैं। ऐसे में मौजूदा कार्यवाही में अदालत के हाथ में राहत देना संभव नहीं रह गया है।
जनवरी 2022 में एअर इंडिया का टाटा ने किया अधिग्रहण
अदालत ने आदेश में कहा- यह एक स्वीकृत रुख है कि मौजूदा रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान 27 जनवरी 2022 को एअर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी मेसर्स टैलेस प्राइवेट लिमिटेड के पास आ गई और एअर इंडिया सरकार नियंत्रित कंपनी नहीं रह गई। कोर्ट ने कहा कि इन परिस्थितियों में अब यह अदालत के रिट क्षेत्राधिकार में नहीं आती और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि रिटा क्षेत्राधिकार में नहीं आने के बावजूद भी याचिकाकर्ता अपने पास उपलब्ध उपायों का इस्तेमाल करते हुए उपयुक्त मंच का रुख कर सकता है और दावा सही साबित होने पर एअर इंडिया बकाये का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगा।
क्या है मामला
इंडियन एअरलाइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने एक जनवरी 1997 से 31 जुलाई 2006 तक की अवधि के लिए वेतन व भत्ते की अदायगी की मांग करते हुए याचिका लगाई थी। एअर इंडिया के वकील ने कहा कि कंपनी का निजीकरण हो गया है और भारत सरकार की पूरी शेयर होल्डिंग टाटा सन्स प्राइवेट लिमिटेड की एक पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई को ट्रांसफर हो गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत नहीं आती, क्योंकि एअर इंडिया अब सार्वजनिक कंपनी नहीं रह गई है।