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ओंकारेश्वर में नर्मदा सबसे साफ, कान्ह व क्षिप्रा से मिल रही गंदगी

मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डाटा से सामने आई हकीकत

मयंक तिवारी जबलपुर। मां नर्मदा के कंचन नीर को प्रदूषण से बचाने हमें जो जागरुकता दिखानी चाहिए, यदि समय रहते नहीं की गई, तो वो दिन दूर नहीं जब नर्मदा के घाटों में आचमन के पहले हमें सोचना पड़ेगा। जी हां, ये हम इसलिए कह रहे हैं कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट द्वारा जारी रिवर वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग की रिपोर्ट लगातार इस ओर संकेत कर रही है।

बोर्ड द्वारा प्रदेश में नर्मदा और उसमें मिलने वाली सहायक नदियों में आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों में रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में आचमन के लिए सबसे साफ नर्मदा जल ओंकारेश्वर में है, इसके बाद होशंगाबाद, जबलपुर और डिंडौरी का नंबर आता है। सबसे अधिक प्रदूषण इंदौर की कान्ह नदी से नर्मदा में मिल रहा है। इसके बाद क्षिप्रा भी काफी हद तक नर्मदा को दूषित रही है।

इनकी होती है जांच

रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम द्वारा बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड , कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड जैसे करीब आधा दर्जन से ज्यादा पैरामीटरों से पानी की जांच की जाती है।

जलीय पौधे और जंतुओं को भी नुकसान : नर्मदा में मिलने वाली सहायक नदियों से जो गंदगी आ रही है, वह जलीय पौधों और जंतुओं को भी नुकसान पहुंचा रही है। रेत का अवैध उत्खनन भी बड़ी समस्या है।

हर आधे घंटे में अपडेट

प्रदूषण विभाग के ये सिस्टम 24 घंटे 7 दिन कार्य करते हैं और हर आधे घंटे में रिपोर्ट को वेबसाइट पर अपने आप अपडेट करते हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर ही प्रशासन प्रदूषण को दूर करने की योजना बनाता है।

यहां लगे हैं मॉनिटरिंग सिस्टम

अमरकंटक, डिंडौरी, जबलपुर, होशंगाबाद, ओंकारेश्वर, इंदौर और उज्जैन।

सबसे अधिक हिस्सा प्रदेश में

नर्मदा नदी के कुल मार्ग का 1,077 किमी (669.2 मील) भाग मध्यप्रदेश में, 74 किमी (46.0 मील) महाराष्ट्र में, 39 किमी (24.2 मील) महाराष्ट्र- गुजरात की राज्य सीमा पर और 161 किमी (100.0 मील) गुजरात में है। नर्मदा मध्यप्रदेश के 16 जिलों से होकर गुजरती है, जो अनूपपुर के अमरकंटक से लेकर आलीराजपुर के सोंडवा तक है।

हमारे लगाए गए सिस्टम पर सभी की नजर लगातार रहती है। नर्मदा में सहायक नदियों से आने वाली गंदगी सबसे बड़ी समस्या है, जिस पर कार्य होना चाहिए। – अमिया इक्का, कनिष्ठ वैज्ञानिक, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

नर्मदा को प्रदूषण से बचाने गंदगी के प्रति जागरूकता जरूरी है। जलीय पौधे व जीवों के लिए ऑक्सीजन की कमी चिंता की बात है। – डॉ. सोना दुबे, सहा. प्रोफेसर, मत्स्य विज्ञान कॉलेज

कहां कितना प्रदूषण

      स्थान                         बीओडी (2 एमजी/एल से कम होना चाहिए)

  • अमरकंटक                     1.84
  • डिंडौरी                           1.62
  • जबलपुर                         1.38
  • होशंगाबाद                      1.19
  • ओंकारेश्वर 1.10
  • इंदौर                             22.61 (कान्ह नदी,जो आगे नर्मदा में मिलती है)
  • उज्जैन                           6.08 (क्षिप्रा नदी, जो आगे नर्मदा में मिलती है)

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