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विवादों में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना : सामूहिक शादी से पहले कराया प्रेग्नेंसी टेस्ट, कमलनाथ ने कहा- महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार में MP अव्वल

भोपाल/डिंडौरी। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना विवादों में आ गई है। डिंडौरी जिले में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह में अपना नाम देने वाली लड़कियों, युवतियों के स्वास्थ्य परीक्षण के नाम पर प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाने की बात सामने आई है।

कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई है। वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश पहले ही महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में देश में अव्वल है। उन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

शादी से पहले हुआ प्रेग्नेंसी टेस्ट

जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन बजाग जनपद और करंजिया जनपद क्षेत्र के मध्य गाड़ासरई में आयोजित किया गया था। वहीं बजाग जनपद क्षेत्र की बछरगांव की रहने वाली युवती ने आरोप लगाया है कि उसने इस सामूहिक विवाह के लिए आवेदन किया था, लेकिन शादी से पहले स्वास्थ्य परीक्षण के साथ-साथ उसका प्रेग्नेंसी टेस्ट भी किया गया, जिसमें वह पॉजिटिव आई और उसका नाम योजना से हटा दिया गया।

सिर्फ प्रेम-प्रसंग वालों का टेस्ट किया : बीएमओ

इधर, बजाग जनपद क्षेत्र के बीएमओ गोपाल मरावी का कहना है कि बहुत सी कन्याएं और वर-वधु प्रेम-प्रसंग में रहते हैं। उस दरमियान अगर प्रेग्नेंसी हो जाता है तो बाद में विवाद का कारण बन सकता है। इस वजह से दोनों पक्षों को समझाइश दी जाती है। इस बीच दोनों अगर सहमत है तो पात्रता और शुभकामना के साथ शादी कराने की सलाह दी जाती है। यहां पर दो थोड़े संदेहास्पद थे। हमने केवल प्रेम-प्रसंग वालों का टेस्ट किया गया है, सभी का नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रेग्नेंसी टेस्ट अपात्रता का कारण नहीं है। दूसरे कारण हो सकते हैं।

कांग्रेस ने जताई आपत्ति

कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा- डिंडौरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने का समाचार सामने आया है। मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह समाचार सत्य है? यदि यह समाचार सत्य है तो मध्य प्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया? क्या मुख्यमंत्री की निगाह में गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की कोई मान मर्यादा नहीं है?

शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश पहले ही महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में देश में अव्वल है। मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराएं और दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दें। यह मामला सिर्फ प्रेगनेंसी टेस्ट का नहीं है, बल्कि समस्त स्त्री जाति के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का भी है।

विधायक मरकाम ने पूछा- विवाह के लिए क्या है मापदंड

इस मामले को लेकर डिंडौरी विधायक ओंकार सिंह मरकाम ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कि यह युवतियों की निजता का हनन है। पूरी तरह से उल्लंघन है और कैसे इसमें परीक्षण करेंगे। यह बहुत गंभीर विषय है और नियम प्रक्रिया में शासन प्रशासन को स्पस्ट करना चाहिए।

उन्होंने ट्वीट कर कहा- डिंडोरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए गए। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि आपने कौमार्य / प्रेगनेंसी टेस्ट के क्या नियम/मापदंड तय किए है, उन्हें सार्वजनिक करें। शिवराज जी ने किस नियम के तहत प्रदेश की बहनों का सार्वजनिक रूप से अपमान कर रहे हैं??

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