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Demonetisation: नोटबंदी के छह साल पूरे… 2000 के नोट हुए गायब, जानें क्यों RBI ने 2019 में बंद कर दी थी छपाई

आज से 6 साल पहले इसी दिन नोटबंदी हुई थी। आठ नवंबर 2016 की तारीख देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक अहम दिन के रूप में दर्ज है। 2016 की रात 8 बजे पीएम मोदी ने रात 12 बजे से 1000 रुपए और 500 रुपए के नोट को डिमोनेटाइज यानी प्रचलन से बाहर करने का ऐलान किया था। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद 500 रुपए और 2,000 रुपए के नए नोट जारी किए गए थे।

चलन में आए 2000, 500 और 200 के नए नोट

देश में 500 और 1000 के पुराने नोटों की जगह 2000, 500 और 200 के नए नोटों ने ले ली। नोटबंदी के छह साल के बाद भी देश में करेंसी नोटों के चलन में खासी तेजी देखने को मिल रही है। अब देश में कैश सर्कुलेशन करीब 72 फीसदी बढ़ चुका है। हालांकि, डिजिटल पेमेंट या कैशलेस पेमेंट में भी खासी तेजी आई है।

कैश में आई थी कमी, अब फिर बढ़ा सर्कुलेशन

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नोटबंदी के बाद से अब तक देश में कैश सर्कुलेशन 71.84 फीसदी बढ़ चुका है। 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, उस समय 4 नवंबर 2016 को देश में 17.7 लाख करोड़ रुपए का कैश मौजूद था। पिछले साल अक्टूबर के अंत तक (29 अक्टूबर 2021) यह बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। इसके मुताबिक, बीते साल नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़त हुई थी, जो छठे साल में बढ़कर करीब 72 फीसदी तक पहुंच गई है।

500 और 2000 के कितने नोट छापे?

RBI ने 2016 से लेकर अब तक 500 और 2000 के कुल 6,849 करोड़ करेंसी नोट छापे है। इनमें 500 के 6479 करोड़ नोट और 2000 के 370 करोड़ नोट छापे गए। उनमें से 1,680 करोड़ से ज्यादा करंसी नोट सर्कुलेशन से गायब हैं। इन गायब नोटों की वैल्यू 9.21 लाख करोड़ रुपए है। इनमें खराब हो जाने के बाद RBI द्वारा नष्ट किए गए नोट भी शामिल हैं।

2000 के नोट हुए गायब!

देश में 2000 के नोट सबसे ज्यादा साल 2017-18 के दौरान चलन में रहे। उस समय बाजार में 2000 के 33,630 लाख नोट थे, जिनकी संख्या साल दर साल कम होती गई। RBI के मुताबिक, 2000 के नोट लोग पसंद नहीं करते इसलिए 2019 में ही इसे छापना बंद कर दिया था। वहीं कई एक्सपर्ट मानते हैं कि, काला धन जमा करने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल 500 और 2000 के नोटों का होता है। शायद इसी वजह से 2019 से 2000 के नोटों की छपाई ही बंद है।

डिजिटल पेमेंट ने पकड़ी रफ्तार

साल 2016 में ही नोटबंदी के बाद UPI की शुरुआत हुई थी। देश में कैश सर्कुलेशन के साथ ही डिजिटल पेमेंट्स भी जोरदार तरीके से बढ़ा है। फिलहाल, देश में डिजिटल पेमेंट के ढेरों विकल्प लोगों के पास हैं।

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