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Bhojshala ASI Survey : धार भोजशाला मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से झटका, ASI सर्वे पर रोक लगाने से किया इनकार

नई दिल्ली। धार स्थित भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आज सोमवार को 11वां दिन है। सुप्रीम कोर्ट में आज मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी धार की उस याचिका पर आज सुनवाई हुई, जिसमें सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। SC ने मध्य प्रदेश में भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। यानी ASI का सर्वे चलता रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लेकिन हमारी इजाजत के बिना ASI रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। सर्वे होगा जैसे ज्ञानवापी में हुआ लेकिन खुदाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने आगे कहा कि वहां फिजीकल खुदाई आदि ऐसा कुछ ना हो, जिससे धार्मिक चरित्र बदल जाए। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। एएसआई सर्वे को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब मांगा है।

‘हाईकोर्ट ने साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश दिया था’

इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भोजशाला मंदिर में सर्वे करने का निर्देश दिया था। HC के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से स्पष्ट है कि सर्वे के नाम पर परिसर में कोई भी भौतिक उत्खनन नहीं किया जाना चाहिए।

जानें भोजशाला से जुड़ा विवाद

भोजशाला का नाम राजा भोज के नाम पर है। धार के जिला प्रशासन की वेबसाइट पर भी यह जानकारी दी जाती है। इस स्थान को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यूनिवर्सिटी माना जाता है, जिसमें वाग्देवी (सरस्वती) की प्रतिमा स्थित थी। हालांकि विवाद इस बात को लेकर हैं कि हिंदू पक्ष कहता है कि इसे मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मुस्लिम धर्म स्थल है और वहां सालों से इबादत की जा रही है। हालांकि फिलहाल वाग्देवी की प्रतिमा लंदन के एक म्यूजियम में है।

team arrived foe bhojshala survey

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” करने का आदेश दिया था। इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था।

फिलहाल दोनों पक्षों के बीच इस तरह का है समझौता

भोजशाला को लेकर कई बार विवाद हो चुका है। कई बार हिंसा की वारदातों के बाद एएसआई ने शासन और प्रशासन के दिशा-निर्देश पर दोनों पक्षों के लिए अलग अलग व्यवस्था कर रखी है। भोजशाला में मंगलवार को हिंदूपक्ष को पूजा-अर्चना करने की अनुमति है, जबकि शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने के लिए दोपहर 1 से 3 बजे तक प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए दोनों पक्षों को निशुल्क प्रवेश मिलता है। बाकी दिनों में 1रुपए का प्रवेश टिकट लगता है। इसके अलावा बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के लिए हिंदू पक्ष को पूरे दिन पूजा और हवन करने की अनुमति है। ऐसे में जिस दिन बसंत पंचमी और शुक्रवार या ईद एक ही दिन पड़ जाते हैं, उस दिन विवाद की स्थिति बन जाती है।

क्या है भोजशाला का इतिहास ?

हिंदू पक्ष का कहना है कि यह सरस्वती मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने यहां मौलाना जलालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं। अंग्रेज भोजशाला में लगी वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन लेगए थे। याचिका में भी यही कहा गया है कि भोजशाला हिंदुओं का उपासना स्थल है और नमाज के नाम पर भीतर के अवशेष मिटाए जा रहे हैं।

एएसआई के 7 अप्रैल, 2003 को जारी आदेश के अनुसार तय व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह पर नमाज अदा करने की अनुमति दी गई है।

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