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MP Congress : विक्रांत भूरिया ने सोशल मीडिया पर की युवा कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश, 10 मिनट बाद ही हो गई मितेंद्र सिंह की नियुक्ति

भोपाल। लोकसभा के चुनावी दौर में चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर कांग्रेस नेतृत्व ने फैसला ले लिया। मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक विक्रांत भूरिया ने यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश मंगलवार सुबह सोशल मीडिया पर की। विक्रांत विधायक होने के नाते क्षेत्र की जनता को ज्यादा समय देने के साथ ही पिता कांतिलाल भूरिया के रतलाम-झाबुआ सीट से चुनाव लड़ने का हवाला देते हुए लिखा कि वे युवा कांग्रेस संगठन को टाइम नहीं दे पा रहे हैं। इन तर्कों के साथ विक्रांत ने अपने इस्तीफे की पेशकश सोशल मीडिया पर डाली। इस पेशकश के वायरल होते ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने फैसला लेते हुए 10 मिनट के भीतर ही ग्वालियर के मितेंद्र सिंह को युवा कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

नए प्रदेशाध्यक्ष की ताजपोशी के पीछे की कहानी

प्रदेश कांग्रेस में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार मालवा-निमाड़ अंचल से हैं। अब तक युवा कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे विक्रांत का नाता भी इसी इलाके से है। इसके अलावा ग्वालियर-चंबल अंचल से सिंधिया के जाने के बाद पार्टी में गिनती के बड़े नेता बचे हैं। अगर कांग्रेस के नजरिए से देखा जाए तो हेमंत कटारे उप नेता प्रतिपक्ष हैं, लेकिन वे ग्वालियर से ज्यादा चंबल के नेता माने जाते हैं। यहां से अशोक सिंह को राज्यसभा में भेजने के पीछे भी यही कारण था। ग्वालियर से संगठन में कोई बड़ा पदाधिकारी नहीं है। यही कारण है कि ग्वालियर से युवा कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मितेंद्र की ताजपोशी की गई है। पार्टी को उम्मीद है कि इसका फायदा इस अंचल में आने वाली लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को मिलेगा।

नोटबंदी के दौरान हुई थी मितेंद्र के पिता की मौत

मितेंद्र सिंह ग्वालियर कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष दर्शन सिंह के बेटे हैं। दर्शन सिंह का निधन नोटबंदी के खिलाफ हो रहे एक प्रदर्शन के दौरान हुआ था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया था। हालांकि दर्शन सिंह एक दौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते थे, लेकिन उनके बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद भी उनके बेटे मितेंद्र ने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा। यह भी एक अहम वजह रही कि ग्वालियर अंचल में सिंधिया के असर को कम करने के लिए मितेंद्र की ताजपोशी की गई है।

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