नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index 2021) रिपोर्ट जारी कर दी है। MPI की इस रिपोर्ट के अनुसार गरीब राज्यों में मप्र चौथे स्थान पर है। इसमें पहले नंबर पर बिहार (52%), दूसरे पर झारखंड (42%) और तीसरे नंबर उत्तर प्रदेश (38%) देश के सबसे गरीब राज्यों के रूप में उभरकर सामने आए हैं। सूचकांक के अनुसार मप्र में 37% आबादी गरीब है। मतलब प्रदेश के 2.5 करोड़ लोग गरीबी में जीवन यापन रहे हैं।
गरीबी के मामले में राज्य 4 बीजेपी शासित है
नीति आयोग का पहला मल्टी-डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स जारी किया गया है। इंडेक्स के मुताबिक गरीबी के मामले में जो पांच राज्य टॉप पर हैं, उनमें से चार भाजपा शासित हैं। मप्र में भी साल 2003 से लगातार (दिसंबर 2018 से मार्च 2020 छोड़कर) भाजपा की सरकार है। शिवराज सिंह चौहान 2005 से मुख्यमंत्री हैं।
अलीराजपुर जिला गरीबी में पहले नंबर पर
प्रदेश के सभी जिलों में अलीराजपुर में सबसे अधिक 71% की आबादी गरीब है, इसके बाद पड़ोसी झाबुआ में 69% आबादी गरीब है। बड़वानी में 62% लोग गरीब हैं। ये इलाके कुपोषण के भी शिकार हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का सबसे कम साक्षर जिला अलीराजपुर है. यह समग्र विकास के वादे के साथ 17 मई 2008 को झाबुआ से अलग कर बनाया गया था. गठन के 13 साल बाद भी यह एमपी का सबसे गरीब जिला है।
एमपीआई की रिपोर्ट का आधार तीन मानक
एमपीआई के तीन मानक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर रखे गए हैं। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के 12 संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं। पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते भी इसमें शामिल हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि मप्र के बुंदेलखंड के सभी जिलों में 40% से अधिक आबादी गरीबी की मार झेल रही है।
देश का सबसे कम गरीबी वाला राज्य केरल
एमपीआई की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे कम गरीबी केरल (0.71%) में है। इसी तरह, गोवा व सिक्किम (4%), तमिलनाडु (5%) और पंजाब (6%) पूरे देश में सबसे कम गरीब लोग वाले राज्य हैं। ये सूचकांक में सबसे नीचे हैं।
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