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दिल्ली शराब घोटाला मामले में केजरीवाल को ED का नौवां समन, 21 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया; कल ही कोर्ट ने दी थी जमानत

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज 17 मार्च को शराब घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 9वां समन भेजा है। उन्हें 21 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इससे पहले ईडी केजरीवाल को आठ बार समन भेज चुकी है। लेकिन वे एक बार भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए। पिछले समन पर पेश नहीं होने के मामले में उन्हें शनिवार को ही दिल्ली की एक अदालत से जमानत मिली है।

सीएम केजरीवाल इससे पहले जारी हुए किसी भी समन पर पेश नहीं हुए और केंद्र सरकार पर एजेंसी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री का दावा है कि केंद्रीय एजेंसी ईडी उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है।

दिल्ली कोर्ट से कल मिली थी जमानत

दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले की जांच में पूछताछ के लिए हाजिर नहीं होने के चलते ED ने केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में दो शिकायतें दर्ज करवाईं। मामले में कल (16 मार्च) ही कोर्ट के सामने केजरीवाल की पेशी हुई थी। राउज एवेन्य कोर्ट ने शिकायतों पर सुनवाई करते हुए केजरीवाल को जमानत दे दी। पेशी के एक मिनट बाद कोर्ट ने उन्हें 15 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी। कोर्ट ने इस मामले में केजरीवाल को हाजिर होने से भी छूट दे दी है।

कोर्ट ने ED को दिए दस्तावेज देने का आदेश

ED ने कोर्ट से कहा कि वह शराब नीति को फाइनल करने से पहले हुई बैठकों और रिश्वतखोरी के आरोपों पर केजरीवाल का बयान दर्ज करना चाहती है, लेकिन 8 समन भेजने के बाद भी वो हाजिर नहीं हुए। सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि, शराब नीति मामले को लेकर शिकायतों में ईडी की तरफ से पूरे दस्तावेज नहीं दिए गए हैं। कोर्ट से अपील की, कि उन्हें ED से वे दस्तावेज चाहिए, जिनके आधार पर उनसे पूछताछ होनी है।

इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को संबंधित दस्तावेज पेश करने के लिए कहा। कोर्ट ने ED को दस्तावेज देने के आदेश दिए हैं। केजरीवाल के वकील ने अदालत को बताया कि बॉन्ड भर दिया गया है। इसके बाद अदालत ने उसे स्वीकार करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री को जमानत दे दी। इससे पहले, राउज एवेन्यू कोर्ट में शुक्रवार (15 मार्च) को सुनवाई हुई थी। ED की याचिका पर कोर्ट में पेश होने के लिए उन्हें 7 मार्च को समन जारी हुआ था।

केजरीवाल को नियमित पेशी से छूट

सुनवाई के दौरान वकील रमेश गुप्ता ने गुजारिश की थी कि, बॉन्ड स्वीकार कर केजरीवाल को जाने की अनुमति दी जाए और बहस को जारी रखा जाए। कोर्ट की तरफ से जो समन किया गया था, केजरीवाल को उस मामले में जमानत मिली है। दोनों मामलों में कोर्ट ने 15-15 हजार के निजी मुचलके और 1-1 लाख की श्योरिटी पर जमानत दी है।

राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को नियमित पेशी से छूट दी है। मामले में अगली सुनवाई 1 अप्रैल को सुबह 10 बजे होगी। अरविंद केजरीवाल की अर्जी पर भी कोर्ट 1 अप्रैल को सुनवाई करेगी, जिसमें उन्होंने केस से जुड़े डॉक्यूमेंट सप्लाई करने की मांग की है। बता दें कि, दिल्ली शराब नीति मामले की जांच ईडी कर रही है। इस मामले में ईडी कई बार नोटिस जारी कर केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुला चुकी है।

ईडी ने कब-कब भेजे समन?

कब भेजा समन पेश हुए या नहीं
नवंबर पहला समन पेश नहीं हुए
21 दिसंबर दूसरा समन पेश नहीं हुए
जनवरी तीसरा समन   पेश नहीं हुए
17 जनवरी चौथा समन पेश नहीं हुए
फरवरी पांचवां समन पेश नहीं हुए
14 फरवरी (19 फरवरी को बुलाया) छठवां समन पेश नहीं हुए
22 फरवरी (26 फरवरी को बुलाया) सातवां समन पेश नहीं हुए
27 फरवरी (4 मार्च को बुलाया) आठवां समन पेश नहीं हुए
17 मार्च (21 मार्च को बुलाया) नौवां समन

आप के दो नेता गिरफ्तार

दिल्ली की आबकारी नीति में घोटाले के आरोप लगे हैं। इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। वहीं, इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से ईडी जांच में जुटी है। जांच एजेंसियों ने अब तक आप के दो बड़े नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को गिरफ्तार किया है।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।

नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।

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