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महाराष्ट्र FDA का बड़ा फैसला: जॉनसन बेबी पाउडर का मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस किया रद्द, लैब टेस्ट में फेल हुआ प्रोडक्ट

महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने जॉनसन एंड जॉनसन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। महाराष्ट्र FDA (फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन) ने शुक्रवार को मुंबई में जॉनसन्स बेबी पाउडर के मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस को कैंसिल कर दिया है। दरअसल, पुणे और नासिक में पाउडर के सैंपल लिए गए थे, जो कि मानकों पर खरे नहीं उतरे। जिसके चलते ये फैसला लिया गया है।

कंपनी ने रिपोर्ट को मानने से किया इंकार

महाराष्ट्र FDA की ओर से कहा गया है कि, लैब टेस्ट में बेबी पाउडर के सैंपल में pH लेवल तय मानकों के हिसाब का नहीं था। लिहाजा राज्य सरकार के निकाय ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। महाराष्ट्र एफडीए ने भी कंपनी को बेबी पाउडर के स्टॉक को बाजार से वापस लेने के निर्देश जारी किए है।

राज्य सरकार के निकाय ने यह भी कहा कि उत्पाद के उपयोग से नवजात शिशुओं की त्वचा के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। वहीं जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने एजेंसी की इस रिपोर्ट को मानने से इनकार करते हुए इसे सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी को भेजा है।

एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2022 में जॉनसन एंड जॉनसन की ओर से कहा गया था कि वह 2023 में वैश्विक स्तर पर बेबी पाउडर की बिक्री बंद कर देगा। बता दें कि कंपनी ने अमेरिका और कनाडा में टेल्कम पाउडर का उत्पादन पहले ही बंद कर दिया है।

कंपनी के बेबी पाउडर से कैंसर होने का दावा

बीते कुछ सालों में कंपनी के बेबी पाउडर से कैंसर होने के आरोप लग चुके हैं। इसकी वजह से कंपनी को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी है। कैंसर की आशंका वाली रिपोर्ट सामने आने पर कंपनी के प्रोडक्ट्स की बिक्री में भी काफी गिरावट देखने को मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी अब टैल्क बेस्ड पाउडर की जगह स्टार्च पर आधारित पाउडर का उत्पादन करेगी।

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क्या होता है टेल्कम पाउडर?

टैल्क एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला मिनरल है। इससे बने पाउडर को टैल्कम पाउडर कहते हैं। ये मैग्नीशियम, सिलिकॉन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से बना होता है। इसमें नमी को सोखने का गुण होता है। कॉस्मेटिक और पर्सनल केयर बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

ब्यूटी केयर प्रोडक्ट में टैल्क के इस्तेमाल पर सवाल उठते रहे हैं। माना जाता है कि इसके इस्तेमाल से कैंसर होता है। दरअसल, जहां से टैल्क निकाला जाता है वहीं से एस्बेस्टस भी निकलता है। जो एक प्रकार का सिलिकेट मिनरल है, इसका क्रिस्टल स्ट्रक्चर अलग होता है। इससे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, कहा जाता है कि टैल्क की माइनिंग के दौरान इसमें एस्बेस्टस के मिलने का भी खतरा रहता है।

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