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बारिश के दौरान मप्र में टूटे 9 बड़े पुल चार साल बाद भी अधूरे, 50 पुलों पर खतरे के बीच ट्रैफिक

बिहार की तरह मध्यप्रदेश के भी हाल... दो साल पहले बने पुलों में आ गई दरारें

पुष्पेन्द्र सिंह/भोपाल। राहतगढ़ के प्रहलाद सिंह बताते हैं कि विदिशा से सागर को जोड़ने वाला राहतगढ़ का पुल बहुत संकरा और छोटा है। बारिश से बावन नदी जब उफान पर आती है तो अक्सर इस पुल पर पानी आ जाता है। संकरा होने से अक्सर यहां जाम लगता है। ये परेशानी राहतगढ़ से प्रहलाद सिंह की नहीं बल्कि प्रदेशभर के कई लोगों की है। अभी कई नदी-नाले उफान पर होने से कई पुलों से आवागमन प्रभावित है। गुरुवार को छतरपुर से टीकमगढ़ जिले को जोड़ने वाले धसान पुल से यातायात ठप हो गया। उधर, चार साल पहले क्षतिग्रस्त हुए दस बड़े पुलों का दोबारा निर्माण किया जा रहा है, इनमें अब तक महज एक पुल पूरा बन पाया है। क्षतिग्रस्त पुलों के निर्माण में 230 करोड़ से अधिक राशि खर्च होगी। इस साल के जून और जुलाई माह में बिहार में 12 बड़े पुल धराशायी हो चुके हैं। प्रदेश में दो साल पहले भारी बारिश के चलते भोपाल-जबलपुर हाईवे पर कलियासोत नदी पर बने पुल की सर्विस रोड धंस गई थी।

ये भी जानिए:

प्रदेश में 100 से अधिक ऐसे पुल हैं, जो अंग्रेजों के समय या आजादी के कुछ साल बाद बनाए गए थे और ये पुल खतरा बने हुए हैं। सेतु परिक्षेत्र की जानकारी के अनुसार 60 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले 1,076 ऐसे पुल हैं जिनकी आयु 50 से 60 साल हो चुकी है।

कब-कहां पुल टूटे

3 अगस्त 2021: सिंध नदी में बाढ़ से रतनगढ़ (दतिया जिला) का पुल टूटा था।

16 अगस्त 2022: रायसेन जिले के बेगमगंज में बीना नदी पर बने पुल का एक हिस्सा बह गया था।

जुलाई 2023: मंडला में बारिश से थावर नदी का पुल टूटा था।

पीडब्ल्यूडी-जल संसाधन ने मांगी पुलों की डिटेल

 

लोक निर्माण और जल संसाधन विभाग सभी पुलों की जानकारी जुटा रहे हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में बने 7 पुल अतिवृष्टि के चलते दो साल पहले ढह गए थे। ग्वालियर संभाग से 92 पुलों की डिटेल भोपाल भेजी गई है। वहीं पीडब्ल्यूडी ने प्रदेश के ऐसे पुलों की मरम्मत के लिए शासन से राशि मांगी है जिनमें 5 लाख से अधिक खर्च होंगे।

इन पुलों पर हमेशा बना रहता है हादसे का खतरा

  •  कटनी को बस स्टैंड से जोड़ने वाला पुल अंग्रेजों के जमाने का है। ब्रिज का पुर्ननिर्माण 13 साल पहले प्रारंभ किया गया था।
  • विदिशा में बेतवा नदी पर बना रंगई पुल सिंधिया रियासत के समय का है। वर्ष 1897 में बने इस पुल में दो बार सुराख हो चुके हैं।
  • भिंड जिले के गोहद से गोहद चौराहा को जोड़ने वाली बेसली नदी पर बना 46 साल पुराना पुल जर्जर अवस्था में था। वर्ष 2021 में बने पुल में उद्घाटन से पहले दरारें आ गई थीं।
  • टीकमगढ़ जिले के ओरछा स्थित जामनी और बेतवा नदी पर बना पुल जर्जर अवस्था में है।
  • विदिशा से सागर के बीच राहतगढ़ और नीरखेड़ी के बीच स्थित बावना नदी पर बने पुल पर आज भी सिंगल रोड जैसी आवाजाही है।
  • कागपुर पर बना पुल विदिशा- अशोकनगर स्टेट हाईवे पर स्थित है। ऊंचाई कम होने से हर साल बाढ़ की वजह से रास्ता बंद हो जाता है।
  • छिंदवाड़ा के लोधीखेड़ा-खमारपानी रोड पर कन्हान नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इस पुल को 30 करोड़ से फिर बनाया जा रहा है।

प्रदेश के हर पुल की जरूरत के हिसाब से हो रही मरम्मत

विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी पुलों की निगरानी की जा रही है। जरूरत के अनुसार मरम्मत कराया जा रहा है। कुछ साल पहले बारिश से क्षतिग्रस्त हुए पुलों का पुर्ननिर्माण कार्य चल रहा है। जीपी वर्मा,चीफ इंजीनियर, ब्रिज भोपाल

 

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