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दसवीं के बच्चे ने कहा- मैथ्स नहीं मिल पाएगा, इसलिए पढ़ाई छोड़कर शुरू करना है बिजनेस

रिजल्ट आने के बाद बच्चों के व्यवहार से चिंतित माता-पिता ले रहे सलाह

पल्लवी वाघेला-भोपाल। जहांगीराबाद क्षेत्र में 12वीं कक्षा की एक छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी। आशंका है कि किशोरी ने 12वीं में सप्लीमेंट्री आने के कारण यह कदम उठाया। 10वीं और 12वीं के रिजल्ट आ चुके हैं। इसमें सफल होने वाले बच्चों की जहां लंबी कतार है। वहीं अनेक बच्चे ऐसे भी हैं, जो अपने परीक्षा परिणाम से निराश हैं। ऐसे में वह मानसिक तनाव में है और आक्रामक हो रहे हैं।

सुसाइड टेंडेंसी भी नजर आ रही है। वहीं उनके अभिभावक बच्चों द्वारा उठाए जा रहे आत्मघाती कदम के कारण चिंतित हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह अपने निराश बच्चों को किस तरह ट्रीट करें। इसी चिंता के साथ ही हर रोज काउंसलर्स के पास दर्जनों अभिभावक पहुंच रहे हैं। ज्यादातर का यही सवाल है कि बच्चों को इस मन स्थिति से कैसे बाहर लाएं?

काउंसलिंग के समय सामने आए केस

केस-1 : अभिभावकों ने बताया कि दसवीं कक्षा में बेटे के उम्मीद से कम अंक आए हैं। उसे लगता है कि अब मैथ्स सब्जेक्ट नहीं मिलेगा और अच्छी जॉब भी नहीं मिलेगी। वह पढ़ाई छोड़कर बिजनेस करने की जिद पर अड़ा है।

समझाइश : बच्चे को समझाया गया कि केवल मैथ्स वाले बच्चे ही जीवन में सफल नहीं होते। शिक्षा जरूरी है। अन्य सब्जेक्ट के कॅरियर ऑप्शन भी बताए।

केस-2 : 12वीं में उम्मीद से कम नंबर आने के बाद किशोरी ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था। अब किशोरी बात-बात पर गुस्सा होती है। वह ठीक से खाना भी नहीं खा रही है।

समझाइश : बच्ची को एक-दो दिन के लिए आस-पास कहीं घुमाने ले जाएं, जिससे ध्यान बंटेगा। पेरेंट्स से कहा गया कि घर में किसी तरह का तनाव क्रिएट न हो, ध्यान रखें और बच्ची को पर्याप्त समय दें।

पीपुल्स व्यू : बच्चों को लक्ष्य निर्धारण की दी जा रही सलाह

परीक्षा के पहले बच्चे एंजायटी-तनाव का सामना करते हैं। यह चीज भी कई बार रिजल्ट बिगड़ने का कारण बनती है। वहीं, रिजल्ट के बाद ज्यादा मामले डिप्रेशन के सामने आते हैं। ऐसे में बच्चों को चिंता छोड़, आत्म मूल्यांकन करने और जीवन में आगे बढ़ते हुए लक्ष्य निर्धारण की सलाह दी जाती है। – दिव्या दुबे मिश्रा, काउंसलर

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