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पहली बार की महिला विधायकों का संकल्प, नारियों को बनाएंगे सशक्त

नरेश भगोरिया/भोपाल। प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक बनीं महिलाओं ने अपने क्षेत्र की तरक्की के लिए बड़े सपने बुन रखे हैं। ये महिला जनप्रतिनिधि खुद भी अलग काम करना चाहती हैं। किसी ने शिक्षा के लिए आगे आकर काम करने के लिए कहा है तो किसी ने आर्थिक रूप से ताकतवर बनाने के लिए आगे आने को कहा है। महिला दिवस के अवसर पर पीपुल्स समाचार ने कुछ महिला विधायकों से बात कर राजनीति में उनके अनुभव और आगे की योजना संबंधी विचार जाने।

हेंडीक्राफ्ट में चाचौड़ा की बहनों का नाम हो

नारी का पूरा जीवन ही संघर्ष से भरा होता है। फिर वह किसी भी क्षेत्र में सक्रिय हो। घर से लेकर कामकाज के स्थान तक हमें यह संघर्ष झेलना पड़ता है। विधानसभा चुनाव में मेरे टिकट के समय भी मुसीबतें कम नहीं थीं, लेकिन परिवार और मेरी पार्टी के सपोर्ट से सब सरल हो गया। जब ऐसा सपोर्ट मिलता है तो आनंद आता है। मैं अपने क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त करने के लिए काम करना चाहती हूं। हमारी सरकार तो उन्हें सशक्त बना ही रही है, लेकिन मैं चाहती हूं कि हैंडीक्राμट के क्षेत्र में उन्हें आगे लाऊं जिससे चाचौड़ा को नई पहचान मिल सके। मिट्टी के बर्तन, सिलाई अदि में बहुत स्कोप है। धीरे-धीरे इस प्रोजेक्ट पर काम करूंगी।

महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर आज जारी करूंगी

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अभी बहुत से काम किए जाने बाकी हैं। लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिला है। लोकसभा का बिल पास हुआ है , लेकिन लागू कैसे होगा इस पर मत भिन्न हैं। एक विधायक के तौर पर मैं अपने विधान सभा क्षेत्र और सागर जिले की महिलाओं के लिए 8 मार्च को एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी करूंगी। मेरे जिले और क्षेत्र की महिलाएं इस पर कभी भी मुझसे संपर्क कर सकेंगी। इसके साथ ही मैं एक अधिवक्ता के रूप में जरूरतमंद महिलाओं के कोर्ट केस बिना किसी शुल्क के लडूंगी। गर्ल्स कॉलेज में कॉमर्स और साइंस सब्जेक्ट भी शुरू हों ताकि बेटियां मनपसंद विषय की पढ़ाई कर सकें।

महिलाओं को बताना चाहती हूं कि दुनिया देखें

मैं राजनीति में लंबे समय से हूं। पहले सरपंच रही, जनपद सदस्य रही, पार्टी की जिला मंत्री और अब विधायक के रूप में बड़ी जिम्मेदारी है। इन सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए मैंने महसूस किया है कि हमारे क्षेत्र की महिलाएं अभी भी बहुत पीछे हैं। सबसे पहले तो मैं यह चाहती हूं कि घर की चहारदीवारी से बाहर आएं और देखें दुनिया में महिलाएं क्या- क्या कर रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तो बेटियां पढ़ ही रही हैं लेकिन शादी हो गई तो फिर वही चौके-चूल्हे की जिम्मेदारी। एक दिन पहले ही क्षेत्र की महिलाओं को कैला देवी मंदिर ले गई थी। वे घर से बाहर निकलेंगी तो बहुत सी बातें सीखेंगी। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कैंप लगवाने का विचार किया है।

स्कूल, कॉलेज और समूहों में संवाद करूंगी

आजादी के बाद मैं अपने विधानसभा क्षेत्र से पहली महिला विधायक बनी हूं। एक कद्दावर नेता के मुकाबले मुझे विधानसभा भेजकर क्षेत्र की जनता ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। हमारे क्षेत्र के ज्यादातर लोग खेतीकिसा नी पर निर्भर हैं। इस काम में महिलाएं भी बराबर से काम करती हैं। हाल ही में मैंने विधानसभा में सवाल उठाकर सिंचाई के लिए जलाशय पर जोर दिया है। इससे बड़ा लाभ मिलेगा। स्व सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं बड़ी, पापड़ अचार बनाने का काम तो कर ही रही हैं। लेकिन मैं चाहती हूं इससे भी आगे रचनात्मक काम करें। महिलाओं और बेटियों की समस्याएं जानने के लिए मैं स्कूल, कॉलेज और समूहों में संवाद कार्यक्रम करूंगी ।

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