
उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भ गृह में विराजित भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न रखने के लिए तरह-तरह के जतन किए जाते हैं। इसलिए अब वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा पर भस्म आरती के बाद 11 नदियों के जल से भरी हुई 11 मटकियां (गलंतिका) बांधी गई, जो भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान करेगी।
बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के इंतजाम
भगवान महाकालेश्वर कैलाश निवासी है। ऐसे में गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए गर्मी के मौसम में दो माह भक्त इस तरह का जतन करते हैं। इसी प्रकार तेज ठंड में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा निभाई जाती है। गर्मी से राहत पाने के लिए हर कोई तरह-तरह के उपाय करता है। दरअसल, अप्रैल का महीना अभी शुरू हुआ ही है। ऐसे में गर्मी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है। ऐसे में बाबा महाकाल को भी गर्मी से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं।
मटकियां में भरा 11 नदियों का जल
बताया जा रहा है कि बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए उनके ऊपर अब ठंडे जल की धारा प्रवाहित की जा रही हैं। उन्हें गर्मी नहीं लगे इसके लिए वैशाख कृष्ण प्रतिपदा यानि आज से मंदिर के पंडित और पुजारी ने मिलकर ठंडे पानी की गलंतिका शिवलिंग के ऊपर बांधी। इससे लगातार पानी शिवलिंग पर प्रवाहित होगा। खास बात ये है कि बाबा महाकाल के शिवलिंग के ऊपर जो मटकियां लगाई गई। उसमें 11 नदियों का जल शामिल किया गया है।
दो महीनों तक ठंडे जल की धारा प्रवाहित होती है
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित गौरव शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि भगवान महाकालेश्वर को वैशाख एवं ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी से बचाने के लिए पुजारी-पुरोहित हर साल शिवलिंग के ऊपर 11 गलंतिका (मटकी) बांधते हैं। इन मटकियों से सुबह भस्मआरती से लेकर संध्या पूजन से पहले तक भगवान महाकाल पर ठंडे जल की धारा प्रवाहित की जाती है। ये क्रम दो महीनों तक चलता रहता है।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) April 7, 2023
महाकालेश्वर को में गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए दो माह तक भक्त इस तरह का जतन करते हैं। इसी प्रकार तेज ठंड में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा भी निभाई जाती है। चांदी के कलश की जलधारा के अलावा मिट्टी की 11 मटकियों से भी जलधाराएं प्रवाहित की जाती है।
महाकाल राष्ट्र और प्रजा को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं
महाकाल मंदिर के पुजारी गौरव शर्मा ने बताया कि इन मटकियों पर गंगा, यमुना, गोदावरी सहित अन्य नदियों के नाम लिखे गए है। मान्यता है कि भगवान महाकाल इससे तृप्त होकर राष्ट्र और प्रजा के कल्याण के लिए सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
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(इनपुट- संदीप पांडला)