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Lebanon Pager Blast : पेजर क्या है, किस तरह की टेक्नोलॉजी काम करती है, जानें सब कुछ…

17 सितंबर को लेबनान में हिजबुल्लाह मेंबर्स के पेजर में सिलसिलेवार कई ब्लास्ट हुए। इसमें लगभग 12 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और करीब 2800 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस समय पूरी दुनिया में पेजर चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए जानते हैं, आखिर यह पेजर तकनीक क्या है, कैसे काम करती है और आज स्मार्टफोन के दौर में इसकी क्या रेलेवंसी रह गई है।

पेजर क्या होता है ?

वायरलेस कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में पेजर एक ऐसा उपकरण रहा है, जिसने 20वीं सदी के अंत में क्रांति ला दी थी। आज भले ही पेजर का उपयोग बहुत कम हो गया हो लेकिन कुछ विशेष क्षेत्रों, जैसे सार्वजनिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में आज भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

पेजर एक वायरलेस कम्यूनिकेशन डिवाइस है, जिसे बीपर के नाम से भी जाना जाता है। यह अल्फान्यूमेरिक टेक्स्ट या वॉइस संदेश प्राप्त करता है और यूजर को बीप या वाइब्रेशन के माध्यम से सूचित करता है। पुराने पेजर केवल संदेश प्राप्त कर सकते थे, जबकि आधुनिक पेजर संदेशों का उत्तर भी भेज सकते हैं।

पेजर का इतिहास

  1. 1921 में डेट्रॉइट पुलिस विभाग द्वारा पहली बार पेजर जैसा उपकरण उपयोग में लाया गया। हालांकि, यह 1950 के दशक में अधिक प्रचलित हुआ, खासकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में।
  2. पहली टेलीफोन पेजर प्रणाली का पेटेंट 1949 में अल्फ्रेड जे. ग्रॉस द्वारा कराया गया था। इसे 1950 में न्यूयॉर्क शहर के यहूदी अस्पताल में इस्तेमाल किया गया था। उस समय, पेजर को केवल बिजनेसेस ही खरीद सकते थे।
  3. 1958 में पेजर को व्यक्तिगत उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी। 1959 में मोटोरोला ने इसे “पेजर” का नाम दिया और 1980 तक यह लोकप्रियता की ऊंचाइयों पर था।
  4. 1960 में, पेजर तकनीक में एक और इनोवेशन तब हुआ, जब जॉन फ्रांसिस मिशेल ने पहला ट्रांजिस्टराइज्ड पेजर बनाया।
  5. 1980 तक, दुनिया भर में 3.2 मिलियन से ज़्यादा पेजर इस्तेमाल किए जा रहे थे। हालांकि, पेजर की रेंज अभी भी बहुत कम थी और इसका इस्तेमाल ज़्यादातर किसी खास इमारत, जैसे कि अस्पताल, या किसी छोटे भौगोलिक क्षेत्र, जैसे कि शहर के पड़ोस में रहने वाले लोगों के बीच संचार के लिए किया जाता था।
  6. 1990 के दशक में मोबाइल फोन की शुरुआत ने पेजर की मांग को कम कर दिया।
  7. 2001 में मोटोरोला ने पेजर का उत्पादन बंद कर दिया, लेकिन इसके बावजूद कुछ विशेष क्षेत्रों में इसका उपयोग आज भी जारी है।
  8. 1990 के दशक में, QWERTY कीबोर्ड वाले दो-तरफ़ा पेजर पेश किए गए, जिससे संदेश प्राप्तकर्ता सीधे डिवाइस पर पेज का जवाब दे सकते थे। लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत में, संचार के एक तरीके के रूप में सेल फोन ने पेजर की जगह लेना शुरू कर दिया था।
  9. आज के जमाने में पेजर का उपयोग अब आम नहीं है, फिर भी कुछ पेशेवर समूह इसका उपयोग आज भी करते हैं। जैसे- सार्वजनिक सुरक्षा कर्मी, आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन और फायरफाइटर, चिकित्सक और स्वास्थ्य पेशेवर, बर्डवॉचर्स आदि।
  10. पेजर का उपयोग अब आम जनता द्वारा नहीं किया जाता है, लेकिन इसके खास उपयोग और सरलता के कारण यह कुछ पेशेवर क्षेत्रों में आज भी इस्तेमाल किए जाते हैं। नई तकनीक के आने के बावजूद, पेजर अपने यूनिक यूज के कारण आज भी रेलेवेंट हैं।

कैसे काम करता है पेजर

  • पेजर रेडियो सिग्नल आधारित डिवाइस है।
  • संदेश भेजने के लिए सेंडर को पेजर यूजर का यूनिक कोड दर्ज करना होता है।
  • प्रत्येक पेजर डिवाइस का अपना चैनल एक्सेस प्रोटोकॉल (CAP) कोड होता है, जो एक यूनिक आइडेंटिटी कोड के रूप में कार्य करता है।
  • जब पेजर को उसका CAP कोड मिलता है, तो यह संदेश को प्राप्त करता है और यूजर को अलर्ट करता है।

कितने तरह के होते हैं पेजर

  • अलर्ट-ओनली पेजर- ये सबसे सरल होते हैं और यूजर को केवल संदेश प्राप्त होने की सूचना देते हैं।
  • न्यूमेरिक पेजर- ये केवल संख्याओं के रूप में संदेश भेजते हैं, जैसे फोन नंबर।
  • अल्फान्यूमेरिक पेजर- ये संख्या और शब्द दोनों के रूप में संदेश भेज सकते हैं।
  • टू-वे अल्फान्यूमेरिक पेजर- ये संदेशों को प्राप्त और उत्तर दोनों दे सकते हैं।
  • वॉइस बीपर्स- ये ध्वनि संदेश चलाकर उपयोगकर्ता को जानकारी देते हैं।

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