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यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, कहा- हमें शरीयत पर अमल करना है

लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मुद्दा एक बार फिर गरमा दिया। पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मुसलमान का मतलब अपने आपको अल्लाह के हवाले करना है। इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है। बोर्ड ने सरकार से यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का इरादा छोड़ देने का अनुरोध किया है।

रविवार का आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में नदवतुल उलेमा लखनऊ में बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसमें कहा गया कि देश के संविधान में हर शहरी को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी है, इसलिए सरकार आम नागरिकों की मजहबी आजादी का एहतराम करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का इरादा छोड़ दे।

UCC मजहबी आजादी का अपमान

बैठक के बाद बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी ने कहा कि बोर्ड की यह बैठक मुसलमानों को यह याद दिलाती है कि मुसलमान का मतलब अपने आपको अल्लाह के हवाले करना है, इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है। बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में कहा कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर शहरी को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी दी है। इसमें पर्सनल लॉ शामिल है। इसलिए सरकार से अपील है कि वह आम नागरिकों की मजहबी आजादी का भी एहतराम करे। ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लागू करना अलोकतांत्रिक होगा।

धर्मांतरण कानून की निंदा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में धर्मांतरण को लेकर बनाए गए कई राज्‍यों के कानूनों पर नाराजगी जताई गई। बोर्ड ने कहा कि धर्म का संबंध उसके यकीन से है, इसलिए किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है। हमारे संविधान में इस अधिकार को स्‍वीकार्य किया गया है और हर नागरिक को किसी धर्म को अपनाने और धर्म का प्रचार करने की पूरी आजादी दी गई है, लेकिन कुछ राज्यों में ऐसे कानून लाए गए हैं, जो नागरिकों को इस अधिकार से वंचित करने की कोशिश है।

राज्यों में है ये कानून

उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश जैसे कई राज्यों में लालच, छल कपट या गैरकानूनी तरीके या पहचान छिपाकर शादी करने को लेकर सख्त कानून बनाया गया है। इसके तहत कड़ी सजा का प्रावधान है।

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