दुबई में बुधवार को भारत और अफगान तालिबान के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने किया, जबकि अफगानिस्तान की ओर से तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान शामिल हुए। बैठक का मुख्य उद्देश्य मानवीय और विकास सहायता, व्यापार, खेल, सांस्कृतिक संबंध और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर बातचीत करना था। इसमें चाबहार बंदरगाह और अन्य क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई।
भारत ने जताया विकास परियोजनाओं में सहयोग का भरोसा
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बैठक के बाद घोषणा की कि भारत अफगानिस्तान की मौजूदा विकास जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। अफगान विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान ने संकट के समय भारत द्वारा दी गई सहायता के लिए आभार व्यक्त किया। भारत ने अफगान लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता देने और आने वाले समय में विकास परियोजनाओं में भागीदार होने का संकेत दिया।
खेल संबंधों को मजबूत करने पर सहमति
बैठक में दोनों देशों ने अपने खेल संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया है, खासतौर पर क्रिकेट। दोनों देशों में क्रिकेट अत्यधिक लोकप्रिय है, जिसे लेकर सहयोग बढ़ाने की बात हुई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान के साथ अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को गहरा महत्व देता है।
पाकिस्तान एयरस्ट्राइक पर भारत की तीखी प्रतिक्रिया
बैठक से दो दिन पहले भारत ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान द्वारा की गई एयरस्ट्राइक की कड़ी निंदा की। इस हमले में 46 निर्दोष लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे। भारत ने इसे निर्दोष नागरिकों पर हमला बताते हुए इसकी आलोचना की। भारत ने इस घटना को पाकिस्तान की घरेलू असफलताओं को छिपाने की पुरानी आदत करार दिया। अफगान सरकार ने भी इस हमले पर पाकिस्तान को चेतावनी दी है।
तालिबान को अभी तक नहीं मिली डिप्लोमेटिक मान्यता
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अब तक किसी भी देश ने तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। भारत भी तालिबान से संपर्क बनाए हुए है, लेकिन अभी तक डिप्लोमेटिक मान्यता नहीं दी गई।
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