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एक्शन में कलेक्टर, अचानक पहुंचे जिला अस्पताल, ड्यूटी से नदारद 18 डॉक्टरों का काटा 1 दिन का वेतन, 1 सस्पेंड और 1 को टर्मिनेट करने के निर्देश

भोपाल । प्रदेश की राजधानी के कलेक्टर आशीष सिंह इन दिनों एक्शन में हैं। इन दिनों वे सरकारी दफ्तरों और विभागों के कामकाज की हकीकत परखने के लिए अचानक ही मौके पर पहुंच रहे हैं। गुरूवार को कलेक्टर सुबह 10 बजे जिला अस्पताल (जेपी अस्पताल) जा पहुंचे और वहां तकरीबन एक घंटे तक रूककर स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानी। इस दौरान उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों की अटेंडेंस चैक की तो पता चला कि 20 डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर ही नहीं आए थे। कलेक्टर ने तत्काल मौके पर मौजूद CMHO डॉ प्रभाकर तिवारी को इनमें से 18 डॉक्टरो का 1 दिन का वेतन काटने के साथ ही 1 इंक्रीमेंट रोकने के निर्देश दिए। इसके साथ ही लगातार गैरहाजिर रहने वाले एक रेगुलर डॉक्टर को सस्पेंड करने और एक संविदा डॉक्टर की सेवाएं समाप्त करने के निर्देश भी मौके पर मौजूद अफसऱों को दिए।

काम के बजाय साडियां खरीदते मिला था स्टाफ

इससे पहले आशीष सिंह कल शाम को भोपाल के रातीबढ़ इलाके में स्थित सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी का निरीक्षण करने जा पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आंगनबाडी़ में देखा कि वहां तैनात स्टाफ साड़ियां खरीदने में मशगूल है। कलेक्टर ने मौके पर ही आगनबाडी़ के स्टाफ को जमकर फटकार लगाते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थए। जिसके बाद आंगनबाड़ी सहायिका की सेवाएं समाप्त कर दी गईँ। इसके अलावा उन्होंने स्कूलों के निरीक्षण के दौरान टीचर्स को पढ़ाई के बजाय दूसरे कामों में मशगूल पाया। कलेक्टर के निर्देश पर डीईओ ने तीन प्राचार्यों समेत पांच टीचर्स का एक-एक दिन का वेतन काटने और दो कर्मचारियों को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए। जिलाधीश की इस ताबड़तोड़  कार्रवाई से फिलहाल कामचोर और लापरवाह कर्मचारियों में तो हड़कंप मचा हुआ है।

कलेक्टर के स्कूल में पहुंचते ही सकपका गईं साड़ियां खरीदतीं टीचर

एक ही दिन में सस्पेंड कर थे 23 कर्मचारी

इससे पहले कलेक्टर आशीष सिंह ने विगत दिनों निर्वाचन कार्य में लापरवाही करने वाले 23 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया था। य़े कर्मचारी चुनाव के लिए सौंपी गई ड्यूटी में लापरवाही बरतने के दोषी पाए गए थे।  रिटायर IAS अधिकारी जगदीश चंद्र जटिया  के मुताबिक भोपाल कलेक्टर की यह कार्यप्रणाली और पहल सराही जानी चाहिए। उनके मुताबिक इस तरह की कार्यप्रणाली अपनाने से न केवल प्रशासन के प्रति जनता का भरोसा बढ़ता है , बल्कि समस्याओं के निदान और सेवा देने में सरकारी कर्मचारी लापरवाही नहीं करते।

सतपुड़ा अग्निकांड के दौरान भी डटे रहे थे कलेक्टर

भोपाल कलेक्टर बनने से पहले आशीष सिंह इंदौर नगर निगम कमिश्नर और उज्जैन कलेक्टर भी रह चुके हैं। भोपाल में पदस्थापना के बाद उनकी ऐसी तस्वीरे खूब हुईं थीं, जिनमें वे खुद बच्चों के साथ बैठकर आंगनबाड़ी में मिलने वाला आहार चख रहे थे। इसके साथ ही विगत दिनों वे शहर को ट्रेफिक जाम से बचाने के लिए सड़कों पर पूरे दल-बल के साथ पैदल भी घूमे थे। पिछले दिनों सतपुड़ा भवन में हुए भीषण अग्निकांड के दौरान भी कलेक्टर पूरी रात वहां से हिले नहीं थे।

 

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