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मणप्पुरम गोल्ड लोन में करोड़ों का घोटाला, 5 गिरफ्तार; जानिए कैसे अंजाम दिया इस वारदात को… और क्या है इसकी वजह….

भोपाल। मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी की इंद्रपुरी शाखा में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ब्रांच मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर ने अपने साथियों के साथ मिलकर 4 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी को अंजाम दिया। बैंक में पदस्थ इन अफशरों ने ग्राहकों द्वारा गिरवी रखे गए सोने और बैंक की राशि में हेराफेरी करकेइस वारदात को अंजाम दिया। भोपाल की क्राइम ब्रांच ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। प्रारंभिक जांच में आया है कि 95 ग्राहकों के सोने के जेवरों और जमा की गई रकम का आरोपियों ने गबन किया है।

ले डूबी ऑनलाइन गैंबलिंग की लत

पुलिस के अनुसार, शाखा प्रबंधक संजय सैनी और सहायक शाखा प्रबंधक अजय पाल सिंह राजपूत ने पिछले एक साल के दौरान कंपनी की इंद्रपुरी शाखा से 4 करोड़ 43 लाख 5 हजार 490 रुपये का गबन किया। उन्होंने ग्राहकों द्वारा गिरवी रखे गए सोने के आभूषणों में हेराफेरी की और बैंक की राशि को भी ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग में लगा दिया। आरोपी संजय सैनी ने पूछताछ में बताया कि वह गौतमनगर में किराए से रहता था और उसका पड़ोसी रविशंकर राजपूत ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग करता था। सैनी ने उसकी देखा-देखी ऑनलाइन गैंबलिंग में पैसा लगाना शुरू कर दिया और हारने पर शाखा से पैसे गबन करना शुरू कर दिया। रविशंकर ने सैनी के मोबाइल में 15 आईडी बनाई थीं, जिनके जरिए वह गैंबलिंग में पैसा लगाता था। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक जब संजय ने गबन शुरू किया तो इसकी जानकारी असिस्टेटं मैनेजर अजय पाल को भी लगी, तो वह भी सैनी का साथ देने लगा।

इस तरह दिया घोटाले को अंजाम

सैनी ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि जिन ग्राहकों ने गोल्ड लोन की पूरी राशि जमा कर दी थी, उनकी राशि उसने अपने पास रख ली और ऑनलाइन गैंबलिंग में लगा दी। उसने बैंक में रखे गए सोने के आभूषणों को भी निकालकर फर्जी नामों से फर्जी लोन केस तैयार कराए औऱ उस रकम का भी गबन कर लिया। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में संजय और अजय पाल सिंह के अलावा ऑनलाइन गैंबलिंग एजेंट रविशंकर राजपूत, संदीप पटेल और फरहान खान को भी गिरफ्तार किया है। ये लोग 10 प्रतिशत कमीशन पर बैरागढ़ के सोनू उर्फ अंडाकरी के लिए काम करते थे। सोनू फिलहाल फरार चल रहा है और उसकी तलाश की जा रही है। इस केस से जुड़े अन्य तथ्य जुटाने के लिए अब क्राइम ब्रांच की टेक्नीकल टीम आरोपियों के मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप की जांच कर रही है।

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