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Budget 2023 Expectations : इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव, हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी घटेगा! जानें इस बजट से लोगों को क्या उम्मीदें

80C के दायरे में शिक्षा के दूसरे खर्च लाने, पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने की उम्मीद लगाए हैं आम लोग

मनीष दीक्षित, भोपाल। आर्थिक मंदी की चिंताओं और 9 राज्यों में होने वाले सत्ता के सेमीफइनल के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अगले वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करेंगी। मोदी सरकार के लिए अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले यह आखरी फुल फ्लेज्ड बजट है। उम्मीद की जा रही है कि सीतारमण इस बार लोकलुभावन बजट पेश करेंगी। मिडिल क्लास और बुजुर्गों सहित हर वर्ग को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं।

इनकम टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव 

सरकार भी चुनावों से पहले पूरी तैयारी में है। वह मिडिल क्लास को लुभाने के लिए इनकम टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव की घोषणा कर सकती है। इस दौरान देश में खपत बढ़ाने के लिए सरकार कुछ नई निवेश घोषणाएं भी कर सकती है। सोशल सिक्योरिटी पर खर्च होने वाली रकम में वृद्धि कर देश के लाखों करोड़ों लोगों को लुभाने की योजना पेश की जा सकती है। हालांकि, केंद्र सरकार को बजट पेश करते समय राज्य स्तर के संसाधनों में कमजोरी, बिजली वितरण करने वाली कंपनियों के नुकसान, बढ़ते कर्ज और करंट अकाउंट डिफिसिट के साथ महंगाई के आंकड़ों पर भी नजर रखने की जरूरत पड़ेगी।

आम आदमी को ये उम्मीदें

1- करदाताओं को टैक्स स्लैब और टैक्स रेट में बदलाव के साथ पढ़ाई खर्च और हेल्थ इंश्योरेंस में टैक्स छूट लिमिट को बढ़ाए जाने की उम्मीद है। लिविंग कॉस्ट बढ़ने के साथ लोन पर ब्याज दरों में तेज होती वृद्धि ने टैक्सपेयर्स को परेशान कर रखा है। इस बजट में बढ़ती लगात कम किए जाने की उम्मीद टैक्सपेयर्स कर रहे हैं। इसके अलावा इनकम टैक्स रेट में छूट का फैसला करदाताओं की परचेजिंग पॉवर को बहाल करने के लिए एक स्वागत योग्य उपाय होगा।

2- वर्तमान में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत बच्चों की शिक्षा के लिए फीस पर किए गए खर्च की सीमा 1.5 लाख रुपए है। इस पर छूट मिलती है। लोगों की मांग है कि पढ़ाई में फीस के अलावा होने वाले अन्य खर्चों, निवेश को भी 80सी के तहत कटौती के दायरे में लाना चाहिए।

3- सरकार अधिनियम की धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा के लिए टैक्स कटौती की सीमा को बढ़ाने का विचार करे। यह फैसला करदाताओं को बड़ी राहत देने वाला साबित हो सकता है।

4- बुजुर्गों को अभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए साल में 50 हजार रुपए तक प्रीमियम भुगतान करने पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है। चूंकि, बुजुर्गों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम आम तौर पर काफी अधिक होता है। इसे ध्यान में रखते हुए यह लिमिट बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपए किए जाने की मांग है। बुजुर्ग माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने वाले बच्चों को भी इस डिडक्शन का लाभ मिलना चाहिए।

पेंशन पर छूट बढ़े : पेंशनर्स एसोशिएसन के गणेश दत्त जोशी कहते हैं कि बुजुर्गों को फिलहाल बैंक या पोस्ट ऑफिस से मिलने वाले 50 हजार रुपए तक के सालाना ब्याज पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है। महंगाई की ऊंची दर को देखते हुए इसमें बढ़ोतरी करने की जरूरत है। बुजुर्गों की आमदनी का बड़ा जरिया उनकी बचत पर मिलने वाला ब्याज ही होता है। इसलिए ब्याज पर कर छूट का दायरा बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपए किया जाना चाहिए।

बुजुर्गों के इलाज खर्च को टैक्स फ्री करने की मांग

ज्यादातर हेल्थ इंश्योंरेस पॉलिसी में ओपीडी में होने वाले इलाज का खर्च, डॉक्टर की फीस, दवाओं का बिल और जांच के खर्च जैसी चीजों को कवर नहीं किया जाता है, जबकि इलाज में ऐसे खर्च का हिस्सा काफी अधिक होता है। ऐसे में मांग चल रही है कि सरकार बुजुर्गों के मुफ्त इलाज का इंतजाम करे। ऐसा संभव नहीं है, तो कम से कम उनके इलाज पर होने वाले वास्तविक खर्च को बिना किसी सीमा के पूरी तरह टैक्स मुक्त किया जाना चाहिए।

पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटें, आटा-दाल पर जीएसटी हटे

मई 2022 में कच्चे तेल की कीमतें 113 डॉलर प्रति बैरल पर थीं। उस समय भोपाल में पेट्रोल-डीजल की जो कीमतें थें, वही अब भी हैं, जबकि कच्चा तेल अभी 81 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है। लोगों को उम्मीद है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटेंगी तो रोजमर्रा की जरूरत की चीजों की कीमतें अपने आप कम हो जाएंगी। क्योंकि, इनकी ढुलाई का खर्च काफी कम हो जाएगा। लोगों की मांग आटे-दाल जैसी पैक्ड खाद्य सामग्री को भी जीएसटी के दायरे से हटाने की है। अभी इन पर 5 फीसदी जीएसटी लग रहा है।

सरकार को करदाताओं पर लागू सर्वाधिक टैक्स रेट लिमिट को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने पर विचार करना चाहिए और हाइएस्ट टैक्स रेट को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी भी किया जा सकता है, ताकि टैक्स रेट को कंपनियों पर लागू सामान्य इनकम टैक्स रेट के बराबर लाया जा सके।
राकेश शर्मा, टैक्स प्रैक्टिशनर, भोपाल

हेल्थ इंशोरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री को हेल्थ इंशोरेंस पॉलिसी पर लगने वाला 18 प्रतिशत जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत करना चाहिए। पांडेय के अनुसार आयकर में राहत की सीमा बढ़ाने की भी जरूरत है। छूट की राशि नहीं बढ़ने के चलते उपभोक्ता भी निवेश में कंजूसी करते हैं, जिससे सरकार को भी कम राशि मिलती है। यदि आयकर छूट की सीमा को बढ़ाया जाता है तो आम आदमी भी विभिन्न पॉलिसियों में निवेश करेगा।
विकास पांडेय, फाइनेंशियल एडवाइजर, भोपाल

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