मलप्पुरम। केरल के मलप्पुरम जिले के एक निजी अस्पताल में हाल में 24 साल के युवक की निपाह वायरस संक्रमण से मौत हो गई। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को इसकी जानकारी दी है। जॉर्ज ने कहा कि क्षेत्रीय डॉक्टर द्वारा मौत के कारणों की जांच करने पर निपाह संक्रमण का संदेह हुआ। मंत्री ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘उपलब्ध सैंपल को तुरंत जांच के लिए भेजा गया और रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई।”
युवक की 9 सितंबर को हुई थी मौत
बेंगलुरु से राज्य पहुंचे मलप्पुरम निवासी 24 साल के युवक की 9 सितंबर को मौत हो गई थी, जिसके बाद उसके सैंपल को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की लैब में जांच के लिए भेजा गया था। मलप्पुरम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि कोझिकोड मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में संक्रमण पाया गया, जिसके बाद शनिवार रात को ही स्वास्थ्य मंत्री ने एक उच्च स्तरीय बैठक की और प्रोटोकॉल के अनुसार आवश्यक कदम उठाए। इस बीच, रविवार को पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) के नतीजों में संक्रमण की पुष्टि हुई।
5 लोगों में हल्का बुखार और लक्षण
मंत्री ने कहा कि शनिवार रात को ही 16 समितियां बनाई गईं और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए 151 लोगों की सूची भी बनाई गई। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने दोस्तों के साथ विभिन्न स्थानों की यात्रा कर चुका था और उसके करीबी संपर्क में आए लोगों को क्वारेंटाइन में रखा गया है। जॉर्ज ने कहा, ‘‘क्वारेंटाइन में रखे गए 5 लोगों में हल्का बुखार और लक्षण पाए गए हैं। उनके नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।”
बता दें कि इससे पहले निपाह संक्रमण का इलाज करा रहे मलप्पुरम के एक लड़के की 21 जुलाई को मौत हो गई थी। यह इस साल राज्य में निपाह संक्रमण का पहला पुष्ट मामला था।
कैसे फैलता है ये वायरस?
निपाह एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। जिसे ज़ूनोटिक डिज़ीज़ कहा जाता है। ये चमगादड़ों और सुअर के जरिए इंसानों में फैल सकता है। सबसे पहले साल 2004 में इस वायरस के बारे में बांग्लादेश में लोगों को पता चला था। यहां कुछ लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले फल को चखा था।
विशेषज्ञों के मुताबिक फ्रुट बैट्स या चमगादड़ों में निपाह वायरस प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति चमगादड़ों के सीधे संपर्क में आता है, तो वह निपाह वायरस से संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा ये वायरस दूषित भोजन करने से भी इंसान को संक्रमित कर सकता है। दरअसल, इस वायरस से संक्रमित चमगादड़ जब कोई फल खाते हैं, तो अपनी लार को उसी पर छोड़ देते हैं। ऐसे में इंसान जब उस फल को खाता है तो वह भी इस वायरस से संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा यह वायरस संभावित रूप से चमगादड़ के मल और चमगादड़ के मूत्र और जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
कितना खतरनाक है ये वायरस?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में 40 से 75 फीसदी तक की मौत हो जाती है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि इसका कोई इलाज नहीं है। निपाह वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के 10 सबसे खतरनाक वायरस की लिस्ट में शामिल किया है।
निपाह वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड (संक्रामक सम)य बहुत लंबा होता है, कई बार तो 45 दिन। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, और उसे इस बारे में पता ना हो तो वह इस वायरस को और भी लोगों में फैला सकता है।
कैसे रखा गया इस वायरस का नाम
- निपाह का नाम मलेशिया के एक गांव के नाम पर रखा गया है। 1998-99 के दौरान इसी गांव में निपाह का पहला केस सामने आया था।
- जिस चमगादड़ को इस वायरस का होस्ट माना गया है, उसे flying fox भी कहते हैं। यह आमतौर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पर पाया जाता है। इन चमगादड़ों को खजूर बहुत पसंद है।
- इस वायरस को NIV के नाम से भी जाना जाता है। यह जानवरों और इंसान दोनों को अपना शिकार बनाता है।
इस वायरस के लक्षण
निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में तेज बुखार, थकान, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द और एनसीफिलाइटिस जैसे लक्षण दिख सकते हैं। विशेषज्ञ के अनुसार एनसीफिलाइटिस होने पर दिमाग में सूजन भी आ जाती है और ऐसे में मरीज की मौत तक हो सकती है।
बचाव के उपाय
- समय-समय पर हाथ धोते रहें, खासकर खाना खाने से पहले और खाने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से जरूर धोएं।
- दूषित फलों को खाने से बचें (खासकर दूषित आम और खजूर)
- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें।
- इस वायरस के चलते जिनकी मौत हुई हो, उनके शव से भी दूर रहें।