अंतर्राष्ट्रीयताजा खबर

Earthquake In Iceland : आइसलैंड में महसूस किए गए 1000 से ज्यादा भूकंप के झटके, खतरे को देखते हुए इमरजेंसी की घोषणा; बंद करना पड़ा ब्लू लगून

आइसलैंड में पिछले 24 घंटे में एक के बाद एक 1,400 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। आइसलैंड में आए इस भूकंप के बाद आपातकाल घोषित कर दिया गया है। क्योंकि भूकंप आने के बाद ज्वालामुखी विस्फोट के संकेत मिले हैं। वहीं 4,000 निवासियों वाले ग्रिंडाविक, जो भूकंप के केंद्र से केवल 1.86 मील की दूरी पर स्थित है उसे एहितयात के तौर पर खाली करा दिया गया है।

ज्‍वालामुखी में विस्फोट होने की आशंका

नागरिक सुरक्षा और आपातकालीन प्रबंधन विभाग ने एक बयान में कहा, “राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख… ग्रिंडाविक के उत्तर में सुंधनजुकागिगर में तीव्र भूकंप के झटकों के कारण नागरिक सुरक्षा के लिए आपातकाल की स्थिति की घोषणा करते हैं।” प्रशासन ने चेतावनी दी, “आने वाले समय में भूकंप, अब तक आए भूकंपों से भी बड़े हो सकते हैं और इससे ज्‍वालामुखी में विस्फोट होने की आशंका है।”  इस प्रायद्वीप में दरार वाली घाटियां, लावा फील्ड्स और कोन्स वाले इलाके मौजूद हैं। ऐसे में भूकंप के झटकों से किसी ज्‍वालामुखी के सक्रिय होने का खतरा भी बना हुआ है। अक्टूबर के अंत से प्रायद्वीप पर लगभग 24,000 झटके दर्ज किए गए हैं।

बंद हुआ ब्लू लगून

यूरोपीय देश आइसलैंड के फेमस टूरिस्ट स्पॉट ब्लू लगून को पर्यटकों के लिए 16 नवंबर तक बंद कर दिया गया है। आइसलैंड के मौसम विभाग के मुताबिक, रेक्जनेस प्रायद्वीप क्षेत्र में पिछले 24 घंटे के दौरान 1400 के करीब भूकंप के झटके रिकॉर्ड किए गए हैं। जिस जगह पर भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, वहीं पर ब्लू लगून भी मौजूद है।

ब्लू लगून रेक्जनेस प्रायद्वीप में मौजूद है और राजधानी से 50 मिनट की दूरी पर है। इंसानों के जरिए बनाया गया ये दुनिया का सबसे बड़ा जियोथर्मल मिनरल बाथ है। लगून का पानी नीला है और इसमें से भाप उठती रहती है, लोग इसमें नहाने के लिए पहुंचते हैं। जिन लोगों को त्वचा संबंधी बीमारी होती है, वो यहां इस उम्मीद में आना पसंद करते हैं कि उनकी तबीयत ठीक हो जाएगी।

आखिर क्यों आते हैं भूकंप ?

भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी के भीतर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। हमारी पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती हैं। जब ये आपस में टकराती हैं, तब फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। जिसकी वजह से सतह के कोने मुड़ जाते हैं और वहां दबाव बनने लगता है। ऐसी स्थिति में प्लेट के टूटने के बाद ऊर्जा पैदा होती है, जो बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढती है। जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है।

कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र (एपीसेंटर) से मापा जाता है। भूकंप को लेकर चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।

किस तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक है

• 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप काफी कमजोर होता है। सीज्मोग्राफ से ही इसका पता चलता है।
• वहीं 2 से 2.9 तीव्रता का भूकंप रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन करता है।
• 3 से 3.9 तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो।
• 4 से 4.9 तीव्रता का भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। साथ ही दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
• 5 से 5.9 तीव्रता का भूकंप आने पर घर का फर्नीचर हिल सकता है।
• 6 से 6.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है।
• 7 से 7.9 तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है। इससे बिल्डिंग गिर जाती हैं और जमीन में पाइप फट जाती है।
• 8 से 8.9 तीव्रता का भूकंप काफी खतरनाक होता है। जापान, चीन समेत कई देशों में 8.8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ने खूब तबाही मचाई थी।
• 9 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी तबाही होती है। इमारतें गिर जाती है। पेड़ पौधे, समुद्रों के नजदीक सुनामी आ जाती है।

अन्य अंतर्राष्ट्रीय खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

संबंधित खबरें...

Back to top button