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अकेलेपन का न लादें बोझ, स्वयं को खुश और व्यस्त रखने के निकालें रास्ते

लोनलीनेस अवेयरनेस डे: अकेलेपन को पहचाने और उससे बाहर निकलें

प्रीति जैन- कई बार लोगों से घिरा होने के बावजूद लोग खुद को अकेला महसूस करते हैं, क्योंकि तमाम लोगों की मौजूदगी उन्हें किसी रिश्ते की गर्माहट का अहसास नहीं दिला पाती। परिवार में रहते हुए भी इंसान कई बार खुद को अकेला पाता है, तो कई लोग अपनों के चले जाने के बाद अकेले हो जाते हैं और समय से पहले बुढ़ापे की ओर बढ़ने लगते हैं। ट्रामा, ब्रेकअप, पर्सनालिटी इश्यूज और आत्मविश्वास की कमी भी अकेलेपन की वजह बनती हैं लेकिन अकेलेपन को समझते हुए इससे निकलने के उपाय भी खुद करने होते हैं। लोनलीनेस अवेयरनेस डे के मौके पर जानेंगे अकेलेपन के कारण और अकेलेपन का शिकार होने पर इससे बचने के उपाए।

अकेलेपन की पहचान कराते हैं यह लक्षण

  • उदास और खाली महसूस करना।
  • किसी चीज में खुशी न मिलना।
  • सुस्ती और थकान महसूस करना।
  • सोने में कठिनाई या नींद न आना।
  • भूख में कमी या खाने की बिल्कुल इच्छा न होना।
  • आत्मविश्वास में कमी।
  • बेचैनी महसूस करना।

अपने आसपास समाधान तलाशें

अकेलापन बहुत बड़ी समस्या है लेकिन इसका निदान भी लोगों के पास है। यदि दोस्त नहीं है तो ऐसे ग्रुप्स से जुड़ें जो कि सोशली एक्टिव हो। अपने पैशन को फॉलो करें या ग्रुप टूरिज्म को जॉइन करें, जहां अलग-अलग तरह के लोगों के साथ कनेक्ट होने का मौका मिलता है। खुद को किसी दायरे में सीमित न करें बल्कि अपने आसपास मौजूद रिसोर्सेज को तलाशे और उनसे जुड़ें। कितने ही लोग आजकल घूमने-फिरने के लिए साथ न मिलने पर टूर एंड ट्रेवल्स ग्रुप्स के साथ घूमने चले जाते हैं। जहां 40 से 50 लोगों का ग्रुप मिल जाता है और कारवां बनता चला जाता है। – डॉ. आरएन साहू, मनोचिकित्सक

सपोर्ट सिस्टम को अपनाया

दो साल पहले पति के गुजर जाने के बाद मैं एक साल अकेलेपन से जूझी, लेकिन परिवार के सपोर्ट ने मुझे कभी अकेला रहने नहीं दिया। मैं अपने मन के भीतर ही भीतर उनके जाने को लेकर उदास रहती थी, लेकिन फिर सोचा कि बच्चों की परवरिश करना है तो सपोर्ट सिस्टम को स्वीकार करके आगे बढ़ना होगा। – प्रीति मलैया, वर्किंग वूमन

अकेलेपन से खुद को बचाया

मैं रिटायरमेंट से पहले ही सोचने लगा था कि बाद में क्या करूंगा। मुझे डर था कि कहीं अकेलापन न महसूस करने लग जाऊं, हालांकि परिवार में सभी लोग थे लेकिन फिर भी काम से दूर होने की तकलीफ थी। मैंने साइकलिंग ग्रुप जॉइन किया और अब मैं बच्चों व बड़ों सभी का दोस्त हूं। हर दिन किसी न किसी के यहां कोई न कोई कार्यक्रम होता है, तो समय निकल जाता है। – ओपी कठैल, रिटायर्ड बैंककर्मी

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