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माफिया मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से मौत, बांदा जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद कराया था अस्पताल में भर्ती

बांदा (यूपी) । बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई है। जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद मुख्तार को गुरूवार शाम मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक उन्हें जेल में दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। मुख्तार की मौत की जानकारी लगते ही उनके घर के बाहर लोगों की भीड़ बढ़ रही है। इधर, प्रशासन और पुलिस ने बांदा, गाजीपुर समेत कई जिलों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। बांदा जिले के कलेक्टर और एसपी भी मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। अस्पताल ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर उसकी मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई है।

रोजा रखने के बाद बिगड़ी थी तबीयत

फिलहाल प्रारंभिक तौर पर जो जानकारी आ रही है उसके मुताबिक रोजा रखने के चलते मुख्तािर की तबीयत बिगड़ गई थी। विगत दिनों भी उसे इलाज के लिए जब मेडिकल कॉलेज लाया गया था तब भी डॉक्टरों ने उसे रोजा न रखने की सलाह दी थी। बताया जा रहा है कि रोजा रखने से मुख्तार अंसारी को कमजोरी आ गई थी और शाम को जब उसकी हालत ज्यादा खराब हो गई तो मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए भर्ती कराय़ा गया।

 

 

पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन था अंसारी

मुख्तार अंसारी का नाम पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया डॉन के तौर पर लिया जाता था। मुख्तार की मौत की सूचना उनके परिजनों को दे दी गई है और वे भी बांदा के लिए रवाना हो गए हैं. इधर, एहतियातन पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है। यूपी सरकार की तरफ से एडीजी प्रयागराज भानु भास्कर को बांदा के हालात पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है। अंसारी ने एक समय ठेकेदारी, खनन, शराब जैसे बिजनेस में हाथ आजमाया और जमकर पैसा कमाया।

दादा स्वतंत्रता सेनानी और नाना बिग्रेडियर

 

3 जून 1963 को गाजीपुर जिले में जन्में पिता का सुभान अल्लाह अंसारी और मां का बेगम राबिया थीं। मुख्तार अंसारी अपराध को चुना जबकि उसका परिवार बेहद प्रतिष्ठित था। मुख्तार के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम किया था। अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान थे जो 1947 की लड़ाई में शहीद हुए थे।
जेल से चलाई राजनीति 60 साल की उम्र में दम तोड़ने वाले मुख्तार अंसारी की मौत के साथ यूपी में एक और डॉन की कहानी हमेशा के लिए खत्म हो गई। मुख्तार पर हत्या, हत्या के प्रयास, धोखाधड़ी जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज थे। लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, आगरा और दिल्ली में भी अंसारी के ऊपर कई केस चल रहे थे। अंसारी के करियर की बात करें तो वो मऊ से पांच बार विधायक रहे। 2017 का विधानसभा चुनाव उसका अंतिम था, लेकिन 2005 से ही वो जेल में था। जेल में रहकर ही 12 साल तक उसने राजनीति की। अंसारी पर पिछले 2 सालों के अंदर जितने भी केस थे, उनमें से ज्यादातर में वो दोषी पाया गया या फिर उन मामलों की जांच आगे बढ़ गई थी। ऐसे में उसका जेल से बाहर आना लगभग नामुमकिन हो गया था।

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