
प्रीति जैन- तिल को सर्दियों का सूपरफूड कहा जाता है। मौसम के मुताबिक, खानपान में होने वाले बदलावों में उस सीजन की विशेष खाद्य वस्तु का महत्व होता है। यही वजह है कि विंटर्स और खासतौर पर मकर संक्रांति के समय तिल और गुड़ के बने लड्डू खूब खाए जाते हैं। ठंड के त्योहार मकर संक्रांति और सकट चौथ में भी इसका विशेष महत्व है। तिल से बनी चीजें खाने में जितनी स्वादिष्ट होती हैं, सेहत के लिए भी उतनी ही फायदेमंद होती हैं। तिल में प्रोटीन, विटामिन और ओमेगा-6 जैसे न्यूट्रिएंट्स होते हैं। यह आयरन, मैग्नीशियम व फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स का भी अच्छा सोर्स है। शहर में मिठाइयों की शॉप्स पर तिल के कई सारे आइटम्स आएं हैं, जो कि तिल के नए स्वाद लिए हुए हैं, जिन्हें खासतौर पर मकर संक्रांति के लिए तैयार किया गया है।
तिल गजक बर्फी, घी-पट्टी और खाटे खड़ी स्वीट खास
इस बार मकर संक्रांति पर शहर की स्वीट शॉप्स पर तिल के कई सारे नए आइटम्स भी आए हैं। अलग-अलग स्वाद में गजक के अलावा मेडिशनल प्रॉपर्टीज वाली तिल स्वीट्स आईं हैं, जिसमें तिल भुग्गा सबसे खास है। इसमें तिल के साथ जायवित्री व सोंठ का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि कफ को खत्म करती है और शरीर को गर्माहट देती है। वहीं, खाटे खड़ी में गुड़ व मूंगफली के साथ तिल का कॉम्बिनेशन होता है, जो कि इसे चीनी पसंद न करने वालों के लिए खास बनाता है। वहीं, गुड़ तिल लड्डू, तिल पट्टी, तिल मावा लड्डू, गजक रोल, काजू गजक, घी पट्टी, चॉकलेट गजक बर्फी व गुड़ संदेश खास हैं।
तिल स्वीट में कई ऑप्शंस
इस बार तिल को मेडिशनल प्रॉपर्टीज से साथ जोड़ा है, ताकि यह सेहत के लिए फायदेमंद रहे। हमने सोंठ, पीपल, जायवित्री को तिल के साथ मिलाया है। कस्टमर्स इसे पसंद कर रहे हैं। मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू से लेकर तिल के अलग-अलग तरह के मीठे आइटम्स पसंद किए जाते हैं। घी-पट्टी, गजक बर्फी और तिल भुग्गा इस बार खास है। तिल भुग्गा पंजाब की विशेष मिठाई है, जिसे इस बार खासतौर पर तैयार किया गया है। इसके अलावा तिल के कई और आइटम शामिल किए हैं। – रज्जन ठाकुर, मैनेजर, मनोहर डेयरी
रोस्टेड तिल को खाने में करें शामिल
तिल की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इसे खाने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है। यह दिल और दिमाग की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं और डाइजेस्टिव हेल्थ अच्छी बनी रहती है। विंटर्स में तिल को दाल में, पुलाव में, काली व सफेद तिल रोस्ट करके डाल सकते हैं। हरी चटनी में सफेद तिल का पाउडर बहुत स्वादिष्ट लगता है। इससे कैल्शियम लेवल बढ़ता है। रोस्टेड तिल की स्टफिंग पराठे में की जा सकती है। इसे दिवाली के बाद से फरवरी तक रेगुलर खाया जा सकता है। तिल-गुड़ का लड्डू खाने के बाद खाया जा सकता है। तिल में मैग्नीशियम की मौजूदगी बीपी नियंत्रित करती है। तिल खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है, हालांकि कुछ लोगों को तिल से एलर्जी होती है तो इसका ध्यान रखें। तिल का तेल स्किन व हेयर के लिए भी अच्छा होता है। इससे पाचन भी ठीक रहता है। – निधि शुक्ला पांडे, डायटीशियन