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Land for Job Scam : लालू परिवार को राहत, राबड़ी, हेमा और मीसा को अंतरिम जमानत, 28 फरवरी को अगली सुनवाई

पटना। जमीन के बदले नौकरी घोटाला (Land For Job Scam) मामले में शुक्रवार को राबड़ी देवी अपनी दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव के साथ दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुईं। इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने तीनों को सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम जमानत दे दी है। इसी के साथ कोर्ट ने तीनों को 1 लाख का बेल बॉन्ड भरने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी। बता दें कि राबड़ी देवी पर घोटाले में शामिल होने का आरोप है। जबकि, मीसा भारती पर मनी लॉन्ड्रिंग और हेमा यादव पर जमीन गिफ्ट में लेने का आरोप है।

ED ने कोर्ट में 4751 पन्नों की दाखिल की चार्जशीट

इस मामले की सुनवाई जज विशाल गोगने की कोर्ट में हुई। मीसा भारती व्हीलचेयर पर बैठकर कोर्ट पहुंचीं। ED ने कोर्ट में 4751 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। बिहार में सरकार बदलते ही लैंड फॉर जॉब्स मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। ED और CBI दोनों जांच एजेंसियों का शिकंजा लालू परिवार पर कसता जा रहा है।

Rabri devi vakeel

रेगुलर बेल नहीं दी जानी चाहिए : ED

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और हृदयानंद चौधरी की तरफ से कोर्ट में रेगुलर बेल फाइल की गई थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान ED ने कोर्ट में इसका विरोध किया। ED ने रेगुलर बेल के खिलाफ जवाब दाखिल करने की बात कही। ED ने कहा कि मामले की जांच चल रही है ऐसे में इन्हें रेगुलर बेल नहीं दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने ED की दलील पर दिया ये जवाब

ED की दलील पर कोर्ट ने कहा- जब सीबीआई के केस में सभी आरोपी जमानत पर हैं तो इन्हें जमानत मिलनी चाहिए।

लालू प्रसाद यादव से 10 घंटे पूछताछ कर चुकी है ED

ED ने 29 जनवरी को लालू प्रसाद यादव से 10 घंटे तक सवाल-जवाब किए थे। वहीं, 30 जनवरी को पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से लगभग 8 घंटे तक पूछताछ की थी। ED ने इस मामले में तेजस्वी यादव के करीबी अमित कत्याल और लालू के ओएसडी रहे भोला यादव को गिरफ्तार कर चुकी है।

इस मामले में भोला यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। इनके साथ ही लालू यादव, तेजस्वी, राबड़ी मीसा सभी जमानत पर हैं। केस की सुनवाई दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में चल रही है।

लालू परिवार पर क्या हैं आरोप ?

कथित घोटाला उस समय का है, जब लालू संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार में रेल मंत्री थे। यह आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के अलग-अलग जोन में ग्रुप डी पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था और बदले में इन लोगों ने अपनी जमीनें तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव के परिवार के सदस्यों और उनसे संबंधित कंपनी एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी।

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