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हाई प्रोफाइल सीटों पर किसके सिर बंधेगा सबसे बड़ी जीत का सेहरा..!

मप्र की सियासत में बड़ा सवाल...जीत के मार्जिन पर लगी होड़

राजीव सोनी-भोपाल। मध्यप्रदेश के चुनावी मैदान में नेताओं के बीच जीत-हार के साथ ही यह सवाल भी तैर रहा है कि सबसे बड़ी जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा। 21 सीटों पर मतदान हो चुका है, इंदौर सहित 8 सीटों पर 13 मई को वोट डाले जाएंगे। इंदौर और खजुराहो निर्विवाद रूप से नया रिकॉर्ड बनाएंगे। इसलिए बाकी 27 क्षेत्रों में बड़ी लीड वाली टॉप फाइव सीटों की होड़ है। पिछले ट्रेक रिकॉर्ड व मौजूदा सियासी परिदृश्य को देखते हुए विदिशा, भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर व गुना की संभावना जताई जा रही है। 2019 में होशंगाबाद, इंदौर और विदिशा टॉप थ्री में रहे थे।

33 साल के बाद विदिशा में फिर मामा

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान 33 साल बाद अपनी पुरानी विदिशा सीट पर ताल ठोक रहे हैं। चुनाव के दौरान उन्होंने घर-घर जाकर दस्तक दी और पुराने संबंधों को ताजा किया। बुधनी क्षेत्र से सर्वाधिक पोलिंग दर्ज हुई है, महिलाएं भी बड़ी संख्या में निकलीं। यह संयोग ही है कि चौहान पहली बार कांग्रेस के मौजूदा प्रत्याशी प्रतापभानु शर्मा को हराकर ही लोकसभा में पहुंचे थे। उसके बाद वह पांच बार विदिशा का नेतृत्व कर चुके।

भोपाल में पीएम का रोड शो

भोपाल सीट पर भाजपा ने इस बार शहर के महापौर रह चुके आलोक शर्मा को उम्मीदवारी सौंपी है। पीएम नरेंद्र मोदी यहां रोड शो भी कर चुके हैं। भाजपा शुरु से बढ़त पर है, शर्मा के सामने कांग्रेस के अरुण श्रीवास्तव ताल ठोक रहे हैं। यहां के नतीजे पर भी सबकी निगाहें लगी हैं।

होशंगाबाद-जबलपुर क्षेत्र

होशंगाबाद -जबलपुर में पिछले चुनाव में जीत का रिकॉर्ड बना था। इस बार फिर यहां सबकी नजरें लगी हुई हैं। होशंगाबाद में भाजपा के दर्शन सिंह के सामने कांग्रेस के संजय शर्मा हैं जबकि जबलपुर में भाजपा के आशीष दुबे और कांग्रेस के दिनेश यादव मुकाबले में हैं।

गुना पर सबकी नजरें

गुना सीट पर पूरे देश की नजरें लगी हैं। पिछली बार मौजूदा भाजपा सांसद केपी सिंह यादव ने बड़ा उलटफेर करते हुए कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को पटकनी दे दी थी। इस बार सियासी परिदृश्य पूरी तरह बदल गया, केंद्रीय मंत्री सिंधिया भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं, उनका मुकाबला कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह यादव से है।

खजुराहो-इंदौर की कहानी

खजुराहो सीट कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को गठबंधन में दे दी थी। सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त हो गया, इसलिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी के मुकाबले में कोई नामी गिरामी नेता नहीं। इंदौर में कांग्रेस के अक्षय कांति बम ने ऐन मौके पर पाला बदल कर कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया। वहां शंकर लालवानी के सामने मैदान खाली जैसी स्थिति है।

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