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Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय अलग-अलग, CJI के पास भेजा गया केस

कर्नाटक के चर्चित हिजाब विवाद पर अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी। दरअसल, 10 दिनों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद गुरुवार को हुई सुनवाई में इस मामले पर दो जजों की बेंच की राय अलग-अलग थी। जिसके चलते अब हिजाब पर बैन सही है या गलत, इस पर फैसला अब CJI यूयू ललित करेंगे।

दोनों जजों का फैसला अलग-अलग

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के चर्चित हिजाब विवाद पर गुरुवार को फैसला सुनाया। इस दौरान बेंच में शामिल दोनों जजों की राय अलग-अलग थी। जहां जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए हिजाब पर प्रतिबंध को सही माना। वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई के दौरान हिजाब विवाद पर इन सवालों के जवाब खोजेगी-

  • क्या हिजाब इस्लाम का अंदरूनी हिस्सा है?
  • अनुच्छेद 25 की सीमा क्या है?
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकार की सीमा क्या है?

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं। मुस्लिम छात्राओं ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि संविधान में सभी को अपने धर्म के पालन का अधिकार है। याचिकाकर्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को देखे बिना हिजाब बैन पर फैसला सुना दिया। साथ ही कहा गया कि हिजाब पहनने से कानून-व्यवस्था को किसी भी तरह का खतरा नहीं है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा तो सरकार की ओर से सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने 10 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद 22 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

क्या था कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला?

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 मार्च को उडुप्पी के सरकारी प्री यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने क्लास में हिजाब पहनने की इजाजत मांगी थी।
कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है। इस फैसले को कई छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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क्या है पूरा मामला?

कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद दिसंबर 2021 और जनवरी में शुरू हुआ था। जब कर्नाटक के उडुपी में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर एक सरकारी कॉलेज में एंट्री ली थी। कॉलेज प्रशासन द्वारा छात्राओं को हिजाब पहनकर आने से मना करने के बाद भी वे नहीं मानीं। इसके बाद लड़कियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध दर्ज किया था। जिसके बाद से कर्नाटक से लेकर पूरे देशभर में हिजाब को लेकर विवाद शुरू हुआ।

स्कूलों में हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन किए गए। इसी को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को स्कूल- कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य करने का फैसला किया था। इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनी जाएगी, प्राइवेट स्कूल भी अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं।

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