
नितिन साहनी-भोपाल। झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गे की खासी मांग होने के बाद अब इनके अंडों का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। सेहत के नजरिए से युवा अब प्रोटीन सप्लीमेंट के लिए कड़कनाथ अंडों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ऑनलाइन और रिटेल मार्केट में इनकी डिमांड ज्यादा है। इसीलिए कड़कनाथ के अंडों के दाम देसी और फार्म के अंडों के मुकाबले ज्यादा हैं।
काला नहीं, भूरा होता है अंडा
जिम में वर्क आउट करने वाले हेमंत पहाड़िया और सूरज रघुवंशी ने कहा कि वे प्रोटीन पावडर के बजाय कड़कनाथ का अंडा खाते हैं, जो हेल्दी होता है। कड़कनाथ का अंडा काला नहीं, भूरे रंगा का होता है। आकार भी छोटा होता है। इसके अंडे को तोड़ने पर मलाई जैसी जर्दी निकलती है। उबालकर खाने और ऑमलेट के अलावा इसका कस्टर्ड और केक भी बनाया जा सकता है।
प्रोटीन, आयरन और अमीनो एसिड की है खान
बैरागढ़ सरकारी अस्पताल की डायटीशियन मनीषा श्रीवास्तव के अनुसार प्रोटीन के स्रोत के रूप में कड़कनाथ का अंडा भी एक बड़ा विकल्प है। इसमें प्रोटीन की मात्रा देसी अंडों के मुकाबले 50 फीसदी अधिक होती है। ये लगभग फैट फ्री भी होता है। इसलिए दिल के रोगियों के लिए भी मुफीद है। कड़कनाथ के अंडे में आयरन और अमीनो एसिड भी भरपूर होते हैं, जो एनीमिया और अन्य रोगों के लिए भी लाभदायक हैं। यह गायनिक रोगों और कुपोषण से भी लड़ने का एक बड़ा जरिया है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर 600 रुपए दर्जन तक रेट
कड़कनाथ के अंडे की सरकारी दर 60 से 72 रु. दर्जन है। हालांकि ये अंडे विभागीय योजनाओं में सप्लाई होने के बाद ही बाजार में उपलब्ध होते हैं। अमेजन जैसी साइट पर पैकेजिंग के साथ लगभग 600 रुपए प्रति दर्जन की दर से बेचे जा रहे हैं।
सावधानी रखें : कड़कनाथ का अंडा खरीदते वक्त सावधानी की जरूरत है। कुछ लोग चायपत्ती के पानी में भिगोकर भी ये अंडे बेचकर ठगते हैं। निजी हैचरीज और सरकारी विभाग इन अंडों को सर्टिफिकेशन के साथ बेचते हैं।
50 हजार का उत्पादन था अब एक लाख हो गया
कड़कनाथ के चिक्स (चूजों) के साथ ही अंडों की डिमांड भी खूब बढ़ी है। सरकारी हैचरीज झाबुआ, भोपाल और शहडोल में हैं। पांच साल पहले विभाग की हैचरी में सालाना 50 हजार अंडों का उत्पादन था, जो अब बढ़कर लगभग 1 लाख हो गया है। – डॉ अनुपम अग्रवाल, अतिरिक्त उप संचालक, पशुपालन एवं डेयरी, भोपाल
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