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Sir Ratan Tata : जमशेदजी से लेकर ‘रतन’ तक, जानिए कब किसने संभाली टाटा समूह की कमान

मुंबई। दिग्गज उद्योगपति और टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा (86) नहीं रहे। 9 अक्टूबर को उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में टाटा समूह का नेतृत्व किया। टाटा समूह भारतीय उद्योग का एक प्रमुख स्तंभ है और इसका योगदान न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है, जैसे कि स्टील, ऊर्जा, मोटर वाहन, सूचना प्रौद्योगिकी और गारमेंट्स। टाटा समूह की नींव जमशेद जी टाटा ने 1868 में रखी थी और तब से लेकर अब तक टाटा समूह के विभिन्न चेयरमैन्स ने इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आइए, टाटा समूह के इतिहास के विभिन्न चेयरमैन्स के बारे में विस्तार से जानें।

जमशेदजी टाटा (1868-1904)

जमशेदजी टाटा को भारतीय उद्योग के जनक के रूप में जाना जाता है। 1868 में टाटा समूह की स्थापना करने वाले जमशेदजी का सपना था कि भारत में ऐसे उद्योगों की स्थापना हो, जो न केवल आर्थिक लाभ दें बल्कि समाज के विकास में भी योगदान दें। उन्होंने टाटा स्टील की नींव रखी, जो बाद में देश की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी बनी। उनका विज़न केवल उद्योग तक सीमित नहीं था बल्कि उन्होंने शिक्षा, विज्ञान और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बड़े योगदान दिए। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) की स्थापना का श्रेय भी जमशेदजी को जाता है।

जमशेदजी टाटा।

दोराबजी टाटा (1904-1932)

जमशेदजी टाटा के बाद उनके चचेरे भाई दोराबजी टाटा ने समूह को संभाला। उन्होंने टाटा समूह की औद्योगिक धरोहर को मजबूत किया और कंपनी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में योगदान दिया। दोराबजी ने इस्पात और कपड़ा उद्योग को और मजबूत किया, जिससे टाटा समूह की स्थिति देश में और भी सुदृढ़ हुई।

दोराबजी टाटा।

नौरोजी सकलातवाला (1932-1938)

टाटा परिवार के बाहर नौरोजी सकलातवाला समूह के पहले चेयरमैन थे, जिन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया। सकलातवाला का ध्यान समूह की लाभप्रदता को बढ़ाने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने पर था। उनके कार्यकाल में समूह ने और भी अधिक उद्योगों में विस्तार किया, विशेषकर टाटा स्टील और टाटा इलेक्ट्रिक कंपनियों में।

नौरोजी सकलातवाला।

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (1938-1991)

जेआरडी टाटा के नाम से प्रसिद्ध जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, टाटा समूह के सबसे लंबे समय तक कार्यरत चेयरमैन रहे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यापारिक जगत में बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी बड़ी ऊंचाइयां हासिल कीं। जेआरडी टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने एविएशन (टाटा एयरलाइंस, जो बाद में एयर इंडिया बनी), ऑटोमोबाइल (टाटा मोटर्स), और सॉफ्टवेयर (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) जैसे नए क्षेत्रों में प्रवेश किया। जेआरडी टाटा को भारतीय विमानन उद्योग का जनक भी कहा जाता है। उन्होंने 1932 में टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की, जो बाद में भारत की राष्ट्रीय विमानन सेवा, एयर इंडिया बनी।

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा।

रतन टाटा (1991-2012)

जेआरडी टाटा के बाद, रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह का नेतृत्व संभाला। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्वीकरण की दिशा में बड़े कदम उठाए और कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिनमें टेटली (ब्रिटेन की चाय कंपनी), कोरस (ब्रिटेन की इस्पात कंपनी) और जगुआर लैंड रोवर (ब्रिटेन की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी) प्रमुख हैं।

रतन टाटा।

साइरस मिस्त्री (2012-2016)

2012 में रतन टाटा के बाद साइरस मिस्त्री को चेयरमैन नियुक्त किया गया था। साइरस मिस्त्री का कार्यकाल कई चुनौतियों से भरा रहा। उन्होंने कंपनी के ढांचे को अधिक मजबूत करने का प्रयास किया और समूह के अधिग्रहणों और निवेशों का पुनर्मूल्यांकन किया। हालांकि, उनका कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा। उनके और टाटा ट्रस्ट के बीच कई मतभेद उभरे, जिसके कारण 2016 में उन्हें पद से हटा दिया गया।

साइरस मिस्त्री।

रतन टाटा (अंतरिम चेयरमैन, 2016-2017)

साइरस मिस्त्री के हटने के बाद रतन टाटा को एक बार फिर अंतरिम चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया गया। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा भारत के बिजनेस टायकून होने के साथ ही जाने-माने समाजसेवी भी थे। रतन टाटा ने वर्षों तक टाटा जैसे विशाल समूह की बागडोर को संभाला और उसे नई ऊंचाइयों तक लेकर गए। दूसरी बार उन्होंने इस भूमिका को तब तक निभाया, जब तक कि समूह को एक स्थायी चेयरमैन नहीं मिला।

एन चंद्रशेखरन (2017-वर्तमान)

फरवरी 2017 में, एन चंद्रशेखरन को टाटा समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया। चंद्रशेखरन टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के पूर्व सीईओ थे और उनके नेतृत्व में टीसीएस दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक बनी। चंद्रशेखरन के नेतृत्व में, टाटा समूह ने डिजिटल परिवर्तन और नवाचार को प्राथमिकता दी है।

एन चंद्रशेखरन।

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