
जम्मू। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रशासन यहां के विकास के लिए तरह तरह की योजनाएं ला रहा है। इसी क्रम में केंद्र शासित प्रदेश में सभी परिवारों का एक डिजिटल डेटाबेस बनाने की योजना बनाई गई है। इस डेटाबेस में हर परिवार का एक यूनीक कोड होगा। दरअसल, प्रशासन चाहता है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का फायदा सभी पात्रों को मिले, इसके लिए इस तरह के यूनीक कोड की जरूरत है। इनके माध्यम से पात्रों का चयन करने में आसानी होगी। इसे फैमिली आईडी नाम दिया जाएगा।
बार-बार नहीं जमा करने होंगे दस्तावेज
‘जेके फैमिली आईडी’ हरियाणा में लागू परिवार पहचान पत्र की तरह होगी। इसमें परिवार के सभी सदस्यों का एक बार पूरा डेटाबेस प्रमाणित और सत्यापित कर दिया जाएगा। इस आईडी में एक यूनीक कोड होगा। कोड में अंग्रेजी के अक्षर और अंक होंगे। एक बार ‘जेके फैमिली आईडी’ डेटाबेस की जानकारी प्रमाणित और सत्यापित हो जाने के बाद, किसी को भी सरकारी सेवाएं लेने के लिए बार-बार दस्तावेज नहीं जमा करने होंगे।
डेटा सिक्योरिटी का खतरा नहीं
जम्मू-कश्मीर की कुछ स्थानीय पार्टयों का कहना है कि इस यूनीक फैमिली आईडी से लोगों की संवेदनशील और जरूरी जानकारी की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि हमने डेटा सिक्योरिटी के लिए उपयुक्त साइबर सिक्योरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी करने की प्लानिंग की है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की आयुक्त सचिव प्रेरणा पुरी बताती हैं कि डेटाबेस बनाने का उद्देश्य यह है कि परिवारों या व्यक्तियों को योजना के तहत लाभ हासिल करने के लिए आवदेन करना होगा। डेटाबेस, हरियाणा के ‘परिवार पहचान पत्र’ की तरह होगा, जिसमें परिवारों या व्यक्तियों को प्रत्येक व्यक्तिगत योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन नहीं करना पड़ता है।