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अपने अस्तित्व को बचाने संघर्ष कर रही सुनार नदी

धीरज जॉनसन दमोह। जिस नदी के जल ने सैकड़ों वर्षों तक दो तहसीलों और कई विकासखंडों के रहवासियों की प्यास बुझाई, वो अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती दिख रही है। किनारों तक लबालब रहने वाली जल भुजाएं फैलाने वाली सुनार आज छोटी- छोटी जलधाराओं में बंट चुकी है। 90 मील तक अपने जल से प्रकृति का पोषण करने वाली सुनार लगातार सूख रही है। कुछ हिस्सों में टूटी धार को जोड़ने के प्रयास प्रशासन की ओर से हुए भी, लेकिन वे भी अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर सके।

कई शहरों का जलस्रोत

सुनार नदी का उद्गम सागर जिले के केसली तहसील के टड़ा नामक ग्राम से हुआ है। करीब 90 मील की यात्रा के बाद यह दमोह जिले में व्यारमा नदी में मिल जाती है। इस पर करीब दर्जन भर से ज्यादा छोटे-बड़े डेम बने हुए हैं। यह पुराने समय में रहली, गढ़ाकोटा, पथरिया, हटा के मुख्य गांवों का जलस्रोत थी। भौगोलिक भाषा में समझें तो यह दूसरी निकटतम नदियों के साथ गंगा नदी तंत्र का हिस्सा बन जाती है।

निरंतर सिंचाई से गिरा नदी का जलस्तर

सुनार नदी में कुछ दशक पूर्व वर्ष तक के अधिकतम महीनों में जल की उपलब्धता बनी रहती थी। लेकिन, गिरते भू-जल स्तर, गांवों में विद्युतीकरण के चलते निरंतर सिंचाई और गैर कृषि क्रियाकलापों के होने से जलस्तर गिरा है। सुनार नदी के किनारे बसे हुए नगर एवं कुछ दूर अव्यवस्थित नगर जैसे पथरिया आदि को जलापूर्ति करने से भी जलस्तर में गिरावट आई है।

मिट्टी के कटाव से नदी ने खो दिया अपना स्वरूप

दमोह जिले की पथरिया तहसील के ग्रामीण इलाकों को पानी की सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए सुनार नदी पर छोटे-छोटे बांध बनाए जाने चाहिए थे। इससे गर्मी के दिनों में क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनती। लेकिन, मिट्टी के कटाव के कारण नदी की गहराई कम होती गई और आज नदी ने मूल स्वरूप को खो दिया।

बचपन में सुनार नदी के उद्गम स्थल को निकट से देखा है, तब हमेशा भरी रहती थी। अब तो मवेशी और इंसानों के लिए भी पानी की उपलब्धता कम होती जा रही है। इसका संरक्षण किया जाना चाहिए। – अरविंद खरे, सेवानिवृत पंचायत समन्वय अधिकारी, पथरिया

नदी इतनी गहरी थी कि हमेशा भरी रहती थी, अब तो सिर्फ बरसात के समय जल दिखाई देता है। नदी की धार अब केवल मौसमी ही बची है। बरसात खत्म होते ही जमीन निकल आती है। नदी की वर्तमान दशा चिंतनीय है। – जीपी श्रीवास्तव किसान, पथरिया

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