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Good Friday : गुड फ्राइडे पर क्यों नहीं करतें हैं किसी को विश, जानें मरने से पहले क्या थे प्रभु यीशु के आखिरी शब्द

आज ईसाई समुदाय का प्रमुख पर्व गुड फ्राइडे है। इसका नाम सुनने से लगता है कि यह कोई जश्न होगा, लेकिन ईसाई धर्म के लोग इस त्योहार को काले दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान यीशु मसीह ने अपने प्राण त्यागे थे। इसी वजह से ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं।

गुड फ्राइडे का इतिहास

गुड फ्राइडे को मनाने के पीछे की मान्यता है कि लगभग दो हजार साल पहले ईसा मसीह यरुशलम के गैलिली प्रांत में रहकर मानवता के कल्याण के लिए भाईचारे, एकता और शांति के उपदेश देते थे। उस दौरान लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। इस वजह से झूठे और पाखंडी धर्म गुरुओं ने ईसा मसीह के खिलाफ यहूदी शासकों के कान भरने शुरू कर दिए।

उन लोगों ने ईसा मसीह की शिकायत रोम के शास पिलातुस से कर दी, जो खुद को ईश्वर का पुत्र बताया करते थे। ईसा मसीह पर धर्म अवमानना और राजद्रोह का आरोप लगा और उन्हें मृत्युदंड का फरमान सुना दिया गया। उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया और चाबुक से मारा गया। इसके बाद उन्हें कीलों की मदद से सूली पर लटका दिया गया। बाइबल के मुताबिक, जिस सूली पर ईसा मसीह को चढ़ाया गया था, उसे गोल गाथा कहा जाता है।

गुड फ्राइडे नाम क्यों पड़ा?

कहते हैं जब यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को तमाम शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने के बाद जब सूली पर चढ़ाया था तो उस दिन शुक्रवार था। चूंकि ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते-हंसते अपना जीवन कुर्बान कर दिया, इसलिए इस शुक्रवार को ईसाई धर्म के लोग ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाते हैं। इस दिन को गुड फ्राइडे कहने का कारण था कि लोग इसे एक पवित्र दिन मानते हैं। लोग ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं। चर्च में सेवा करके उन पलों को याद करते हैं जब यीशु ने मानव सेवा के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे।

ये थे ईसा मसीह के आखिरी शब्द

ईसा मसीह को प्रभु यीशु कहा जाता है। उनके मुख से मृत्यु पूर्व ये मार्मिक शब्द निकले, ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं…’।

आखिरी वक्त में आया ऐसा जलजला

ईसाई धर्म के पवित्र बाइबिल में प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने की घटना के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। प्रभु यीशु को पूरे 6 घंटे तक सूली पर लटकाया गया था। बताया जाता है कि आखिरी के 3 घंटों में चारों ओर अंधेरा छा गया था। जब यीशु के प्राण निकले तो एक जलजला सा आया। कब्रों की कपाटें टूटकर खुल गईं। दिन में अंधेरा हो गया। माना जाता है कि इसी वजह से गुड फ्राइडे के दिन चर्च में दोपहर में करीब 3 बजे प्रार्थना सभाएं होती हैं। मगर किसी भी प्रकार का समारोह नहीं होता है।

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गुड फ्राइडे से जुड़े रोचक तथ्य

  • गुड फ्राइडे से 40 दिन पहले ईसाई धर्म के लोग उपवास करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ईसाई धर्म में मान्यता है कि प्रभु यीशु ने मानव सेवा करने से पहले 40 दिन का व्रत किया था।
  • इस व्रत के दौरान इसाई समुदाय के लोग केवल शाकाहारी भोजन ही करते हैं।
  • गुड फ्राइडे के दिन घर या चर्च से सारी सजावटी वस्तुओं को या तो हटा दिया जाता है या उसे ढक दिया जाता है।
  • गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु के क्रास को चूमना एक संस्कार है और ऐसा करना उनके प्रति प्रेम को दर्शाता है।
  • गुड फ्राइडे के दिन चर्च में प्रार्थना का समय दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक ही होता है।
  • गुड फ्राइडे के तीसरे दिन ईस्टर मनाया जाता है। ईस्टर संडे को होता है और इसी दिन प्रभु यीशु दोबारा जीवित हुए थे।
  • गुड फ्राइडे के दिन बहुत से देशों में अवकाश होता है और इस दिन टेलीविजन या रेडियो तक पर प्रसारण नहीं किया जाता।
  • गुड फ्राइडे के दिन चर्च में घंटे नहीं बजते। इस दिन केवल लकड़ी को खटकाया जाता है।

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