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मंत्री गोविंद राजपूत ने चुनावी हलफनामे में नहीं दी करोड़ों की जमीन खरीदी की जानकारी

सागर में खरीदी गई थीं जमीनें, शहर के पास होने से सैकड़ों करोड़ है कीमत

मनीष दीक्षित-भोपाल। प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत सुर्खियों में हैं। आयकर विभाग द्वारा उनके ससुराल पक्ष द्वारा गिफ्ट में मिली जमीनों पर नोटिस दिए जाने के बाद परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा पर चल रही लोकायुक्त की कार्रवाई के दौरान भी उनका नाम सामने आया। दरअसल, जिस समय सौरभ शर्मा ने कारनामे किए, उस समय परिवहन विभाग की कमान गोविंद सिंह राजपूत के ही पास थी। अभी सौरभ का मामला शांत नहीं हुआ है और उसमें लगातार खुलासे हो रहे हैं।

इसी बीच पीपुल्स समाचार के हाथ कुछ चौंकाने वाले दस्तावेज लगे हैं। इन दस्तावेजों के अनुसार, 2019 से 2024 के बीच राजपूत ने अपने अलावा पत्नी और पुत्रों के नाम सागर में करीब 40 हेक्टेयर भूमि खरीदी। इन जमीनों की अनुमानित कीमत सैकड़ों करोड़ बताई जा रही है। ये जमीनें सागर जिले के तिली माफी, भापेल, मारा इमलिया, पथरिया जाट और मेनपानी ग्रामों में हैं। यह सभी गांव शहर से सटे होने के कारण कई जगह जमीनों के रेट 10,000 प्रति वर्ग फीट तक पहुंच गए हैं।

जानकारी छिपाई

वैसे किसी मंत्री, नेता या अधिकारी द्वारा जमीन खरीदना अपराध नहीं है, लेकिन शंका तब होती है जब कोई उसे छिपाने का प्रयास करता है। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद मंत्री जी के 2023 में चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र से मिलान किया गया, तो आश्चर्यजनक जानकारी सामने आई। पिछले विस चुनाव के दौरान राजपूत द्वारा जो शपथ पत्र (हलफनामा) दिया गया, उसमे कई ऐसी जमीनों का उल्लेख नहीं है, जो पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने खरीदी हैं। दरअसल, हर उम्मीदवार को चुनावी हलफनामे के फॉर्म 26 में अपनी वास्तविक संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करना होता है।

मुझे कुछ नहीं कहना

वहीं, इस बारे में जब गोविंद सिंह राजपूत से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है, मुझे कुछ नहीं कहना है।

शपथ पत्र में इन जमीनों का उल्लेख नहीं

राजपूत ने अपने हलफनामे में लगभग 12 करोड़ रुपए कीमत की जमीनों का उल्लेख किया है। वहीं एक दर्जन से अधिक जमीनों का उल्लेख शपथ पत्र में नहीं है। यह बेशकीमती जमीनें बाशियाभनसा, तिली माफी, भापेल, मारा इमलिया, पथरिया जाट, नरियावली, मेनपानी और किर्रावदा गांवों में राजपूत, उनकी पत्नी सविता और बेटों – आदित्य और आकाश के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हैं। इनमें से कई जमीनें ज्ञानवीर सेवा समिति द्वारा खरीदी गई हैं, जिसकी अध्यक्ष राजपूत की पत्नी सविता और सचिव उनके पुत्र आदित्य सिंह राजपूत हैं।

यह हो सकती है कार्रवाई

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अगर प्रत्याशी अपने हलफनामे में गलत जानकारी देता है तो इसको लेकर हाईकोर्ट में इलेक्शन पिटीशन दायर किए जाने का प्रावधान है। पिटीशन में गलत जानकारी सिद्ध होने पर विधायक का निर्वाचन शून्य (उन्हें विधायक के पद से हाथ धोना पड़ता है) हो जाता है। इसके साथ ही वह 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए योग्य भी नहीं रहता है।

केस झेल रहे हैं विधायक

भोपाल दक्षिण के विधायक आरिफ मसूद के निर्वाचन को चुनौती देते हुए पराजित भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि एसबीआई अशोक नगर शाखा से आरिफ मसूद और उनकी पत्नी के नाम लोन है, जिसका उल्लेख उन्होंने नामांकन पत्र में नहीं किया। इस मामले की सुनवाई 15 जनवरी को है।

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