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विशेष सत्र का चौथा दिन आज : राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर होगी चर्चा, 454 वोटों के साथ कल लोकसभा में हुआ था पास

नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र का आज चौथा दिन है। महिला आरक्षण बिल ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पर आज यानी 21 सितंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी। विशेष सत्र से तीसरे दिन लंबी बहस के बाद लोकसभा में विधेयक 454 वोटों के साथ पास हो गया था। AIMIM पार्टी के दो सांसदों असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील ने विरोध में वोट डाले।

27 साल से हो रहा महिला आरक्षण बिल का जिक्र

देश में पिछले 27 साल से एक बिल का जिक्र बार-बार होता रहा है। ये था महिला आरक्षण बिल, किसी भी पार्टी ने इसका नाम नहीं बदला था। वहीं 27 साल बाद 19 सितंबर 2023 को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से पेश किया गया। 20 सितंबर 2023 को लोकसभा से पहली बार बिल पास हुआ। लोकसभा में 2 दिन तक चली लंबी बहस के बाद महिला आरक्षण विधेयक पर मुहर लग गई। लोकसभा में ये बिल दो तिहाई बहुमत से पास हुआ। वोटिंग पर्ची के जरिए हुई।

इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा यह दिन : अमित शाह

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- गुरुवार का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। गुरुवार के दिन वर्षों से जो लंबित था वो महिलाओं को अधिकार देने का बिल सदन में पेश हुआ। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधुवाद देना चाहता हूं।

इस बिल के पारित होने से महिलाओं के अधिकारों की लंबी लड़ाई खत्म हो जाएगी। जी-20 के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने महिला नेतृत्व वाले विकास का विजन पूरी दुनिया के सामने रखा।

महिला आरक्षण बिल लाने का यह 5वां प्रयास : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तिकरण एक राजनीतिक एजेंडा हो सकता है, कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तिकरण का नारा चुनाव जीतने का एक हथियार हो सकता है, लेकिन भाजपा के लिए महिला सशक्तिकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मान्यता का सवाल है। महिला आरक्षण बिल लाने का यह 5वां प्रयास है। देवेगौड़ा जी से लेकर मनमोहन सिंह जी तक चार बार इस बिल को लाने की कोशिश की गई…क्या कारण था कि ये बिल पास नहीं हो सका?।

हमने महिलाओं का 33% आरक्षण कर दिया : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, OBC आरक्षण, परिसीमन का मुद्दा या जनगणना को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, मैं सबका जवाब देता हूं। सबसे पहला जवाब विद्यमान संविधान में तीन तरह के सांसद आते हैं, जो सामान्य, SC और ST कैटेगरी से आते हैं। ये तीनों कैटेगरी में हमने महिलाओं का 33% आरक्षण कर दिया है। अब एक तिहाई सीटों को आरक्षित करना है तो वह सीट कौन तय करेगा? हम करें? अगर वायनाड आरक्षित हो गया तो आप कहेंगे हमने राजनीति की है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि इस बिल का समर्थन नहीं करना चाहिए। इसमें OBC, मुस्लिमों का आरक्षण नहीं है। अगर आप इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे तो क्या आरक्षण जल्दी होगा? अगर आप इस बिल का समर्थन करते हैं तो कम से कम गारंटी तो देंगे।

यह देश की महिलाओं के लिए बहुत बड़ा कदम है : राहुल गांधी

महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा- भारत की महिलाओं को सत्ता हस्तांतरित करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम था पंचायती राज, जहां उन्हें आरक्षण दिया गया और बड़े पैमाने पर राजनीतिक व्यवस्था में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। हर कोई इस बात का समर्थन करेगा कि यह हमारे देश की महिलाओं के लिए बहुत बड़ा कदम है। महिलाओं ने आज़ादी के आंदोलन में भी भाग लिया, लेकिन मेरे हिसाब से यह बिल अधुरा है क्योंकि इसमें OBC आरक्षण की बात नहीं है। इसमें दो बात नहीं है, पहली बात तो यह कि आपको इस बिल के लिए एक नई जनगणना और नया परिसीमन करना होगा। मेरी नजर में इस बिल को अभी से महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33% आरक्षण देकर लागू कर देना चाहिए।

लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, सरकार कई मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। इसमें से एक मुद्दा है जातिगत जनगणना। मुझे बिल्कुल समझ नहीं आता कि क्या कारण है कि जैसे ही विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है, भाजपा अन्य मुद्दों को लाकर अचानक ध्यान भटकाने की कोशिश करती है ताकि OBC समुदाय और भारत के लोग दूसरी तरफ देखने लगें।

क्या है महिला आरक्षण बिल ?

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी विधेयक में प्रस्ताव है। इसके साथ ही प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना भी विधेयक में प्रस्तावित है। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।

आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 के 15 प्रतिशत से भी कम हैं। राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है।

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