
अशोक गौतम-भोपाल। वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन और इससे जुड़े सदस्य अगर चुनाव, प्रत्याशी, पार्टी अथवा बड़े नेताओं से जुड़ी कोई पोस्ट शेयर कर रहे हैं तो जरा संभल कर करें। ऐसे में आप चुनाव आयोग के रडार पर आ सकते हैं। आयोग फिलहाल प्रदेश के करीब 15 सौ से अधिक वॉट्स ऐप ग्रुपों निगरानी कर रहा है। जिला स्तर पर इसके लिए पीआरओ नियुक्त किए हैं।
दरअसल, बार-बार ऐसा करने पर ग्रुप एडमिन और सदस्य मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति के भी दायरे में आ सकते हैं। आयोग ने सोशल मीडिया में बिना अनुमति के चलने वाले विज्ञापनों को रोकने और इसे पोस्ट करने वालों को पकड़ने के लिए गूगल, याहू, बिंग और रेडिफ सहित सर्च इंजनों को अलर्ट किया है। इसके लिए करीब 35 से 30 कीवर्ड भी डाल रखे हैं।
ऐसे हैं कीवर्ड : बड़े नेताओं के नाम, प्रत्याशियों के नाम, चुनाव, वोट, पार्टियों के नाम आदि।
विज्ञापन एजेंसियों से भी पता कर रहे राशि
आयोग ने सोशल मीडिया पर विज्ञापन जारी करने वाली एजेंसियों और विज्ञापनों की डिजाइन करने वाली कंपनियों से अनुबंध किया है। यह कंपनियां आयोग को रिपोर्ट देती हैं कि उन्होंने किस पार्टी, प्रत्याशी अथवा समूह के लिए विज्ञापन बनाया और जारी किया है। उनके विज्ञापन के बनाने और प्रकाशित करने में कितनी राशि ली गई है। इसके जरिए आयोग पार्टी और प्रत्याशियों पर नजर रखे हुए है।
प्रदेश के इनफ्लूएंसर्स पर भी नजर
सोशल मीडिया में कई ऐसे लोग होते हैं जिनके बहुत से फॉलोअर होते हैं। इन पर भी आयोग नजर की नजरें हैं। आयोग की सोशल मीडिया टीम यह देखती रहती हैं कि इनफ्लूएंसर्स कोई ऐसे पोस्ट से तो नहीं कर रहे हैं जो आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी हुई हों। आयोग ने इसके लिए इनफ्लूएंसर्स को चिन्हित कर अपने रडार पर ले लिया है।
प्रत्याशी के खाते में जुड़ेगा इसका खर्च
चुनाव आयोग के अनुसार यदि किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रत्याशी का प्रचार किया जाता है,चाहे वो कोई अनजान व्यक्ति ही करे, प्रत्याशी के खर्च में उसका खर्च जोड़ा जाएगा।
सोशल मीडिया में किसी पोस्ट को ट्रैक करना आईटी एक्सपर्ट के लिए बेहद आसान है। चुनाव से जुड़े शब्दों जैसे- लोकसभा चुनाव अथवा क्षेत्र, मोदी, शाह, राहुल जैसे अन्य बड़े नेताओं के नाम और राजनीतिक दलों के नाम डालने पर ही सारी पोस्ट देखी जा सकती हैं। – शकील अंजुम, आईटी एक्सपर्ट
वॉट्सऐप सहित तमाम सोशल मीडिया पर आयोग की नजर है। इसके जरिए प्रचार करने अथवा आचार संहिता उल्लंघन के मामले पर नजर रखने के लिए आयोग की जिला और प्रदेश स्तर पर टीम काम कर रही है। – अनुपम राजन, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्य प्रदेश