ग्वालियरमध्य प्रदेश

मिलावट और माफिया से थी मप्र की पहचान, इसे बदलने हमने 27 लाख किसानों को कर्ज दिया : कमलनाथ

ग्वालियर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को भाजपा की विकास यात्रा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भाजपा मुझसे 15 महीनों की सरकार का हिसाब मांग रही है। भाजपा का काम सिर्फ मुंह चलाने के अलावा कुछ नहीं है। मुंह चलाने में और सरकार चलाने में फर्क होता है। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज जी 190 महीने मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्हें इनका हिसाब देना चाहिए।

बदलाव को लेकर रहा जोर

पत्रकारों से बात करते हुए कमलनाथ ने कहा कि हमने जो किया उसकी गवाह प्रदेश की जनता है, लेकिन शिवराज सरकार ने कैसे नौजवानों किसानों छोटे व्यापारियों का सत्यानाश किया यह भी जनता जानती है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की पहचान माफिया और मिलावट से थी। हमने उसे बदलने की कोशिश की। 27 लाख किसानों को हमने कर्ज दिया, 100 रुपए यूनिट के हिसाब से बिजली उपलब्ध कराई। हमारा जोर प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव लाने का रहा।

सिंधिया से पिता के जमाने से संबंध

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के जवाब में कमलनाथ ने कहा – यह सिंधिया ही बता पाएंगे कि वह कांग्रेस में आएंगे या नहीं मैं सिर्फ यही जानता हूं कि हमारी विचारधारा अलग है और उनकी विचारधारा अलग। ज्योतिरादित्य सिंधिया के संबंध मेरे आज से नहीं उनके पिता के समय से हैं।

मप्र की जनता पर पूरा विश्वास

कमलनाथ ने कहा- मुझे पूरा विश्वास है कि 7 महीने बाद मध्य प्रदेश की जनता प्रदेश की तस्वीर अपने सामने रखकर प्रदेश का भविष्य सुरक्षित रखेगी। नौजवान और किसानों का भविष्य सुरक्षित रखेगी। उन्होंने कहा- हमारे प्रदेश की 70% अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। आज अगर ग्वालियर का बाजार चलता है गांव की किराने की दुकान चलती है यह तभी संभव है जब किसानों की जेब में पैसा हो।

इन्वेस्टर समिट पर सवाल

कमलनाथ ने हाल ही में हुए इन्वेस्टर समिट पर भी सवाल उठाए। कहा कि हर आयोजन में यह बातें कही गईं कि इतने लाख रुपए का निवेश आएगा, उतने लाख रुपए का निवेश आएगा। लेकिन, सच्चाई यह है कि 18 साल में 100 रुपए में से 30 पैसा निवेश मध्यप्रदेश में आया मतलब भारत के कुल निवेश का 0.3 प्रतिशत। उन्होंने कहा कि मप्र में आर्थिक गतिविधि घट गई है।

किसी ने इतना कर्ज नहीं लिया

कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार ने कितना कर्ज लिया है इतिहास की किसी भी सरकार ने इतना कर्जा नहीं लिया। कर्ज लेकर शासन में रिक्त पड़े हुए पदों को नहीं भरा गया। इन्होंने तो बड़े-बड़े ठेके दिए और इनकी नीति रही है कि ठेका दो एडवांस पेमेंट करो और अपना कमीशन वसूल करो।

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