
Magh Purnima 2025। माघ पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। महाकुंभ का छठा स्नान माघ पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी गंगाजल में निवास करते हैं। मान्यता है जो जातक माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान करते हैं, उनके समस्त पापों का नाश होता है। माघ पूर्णिमा स्नान के बाद दान करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन किसी जरूरतमंद को अपनी सामर्थ्य के अनुसार भोजन, वस्त्र व अन्न दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
माघ पूर्णिमा स्नान कब है
- माघ पूर्णिमा 12 फरवरी, बुधवार को पड़ रही है।
- पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय 05:41 PM पर होगा।
- पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी 2025 को 06:55 PM पर प्रारम्भ होगी।
- पूर्णिमा तिथि का समापन 12 फरवरी 2025 को 07:22 PM पर होगा।
माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त – 04:53 ए एम से 05:44 ए एम
- प्रातः सन्ध्या – 05:18 ए एम से 06:35 ए एम
- अभिजित मुहूर्त – कोई नहीं
- विजय मुहूर्त – 02:05 पी एम से 02:50 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त – 05:47 पी एम से 06:13 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या – 05:50 पी एम से 07:06 पी एम
- अमृत काल – 05:55 पी एम से 07:35 पी एम
- निशिता मुहूर्त – 11:47 पी एम से 12:37 ए एम, फरवरी 13
महाकुंभ में स्नान-दान का महत्व
महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में किया जाता है। 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करके अपना जीवन धन्य करेंगे।
महाकुंभ में किए गए स्नान, दान और पूजा को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही, इस दिन किया गया दान-पुण्य भी विशेष फलदायक होता है। मान्यता है कि इस दिन किए गई स्नान दान से सिर्फ ईश्वर ही नहीं, बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महाकुंभ पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं।
- अब अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर का ध्यान करें और पवित्र नदी को प्रणाम करें।
- नदी में प्रवेश से पहले गंगा स्तुति या “ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलऽस्मिन सन्निधिं कुरु।।” का जाप करें।
- अब त्रिवेणी संगम में तीन बार डुबकी लगाएं।
- इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
- स्नान के बाद वस्त्र, भोजन, तिल, चावल, आटा आदि का दान करें।
- इसके बाद संगम तट पर आरती करें, और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
महाकुंभ में दान का महत्व
महाकुंभ में दान को असंख्य पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस अवधि में किया गया दान न केवल इस जन्म में, बल्कि अगले जन्म में भी शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन किए गए दान से जातक को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, और ग्रह दोष समाप्त होते हैं। ध्यान रहे कि दान हमेशा श्रद्धा और निःस्वार्थ भाव से करें।
महाकुंभ में दान की विधि
- आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति के लिए चावल का दान करें।
- दरिद्रता को समाप्त करने के लिए वस्त्र दान करें।
- पितृ दोष से छुटकारा दिलाने और ग्रह दोषों को शांत करने के लिए तिल का दान करें।
- अन्न के अभाव से बचने और समृद्धि लाने के लिए आटा का दान करें।