जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक बरकरार रखी है। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की जॉइंट बेंच ने मामले में सुनवाई की। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता, महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने पक्ष रखा। कांग्रेस ने भी ओबीसी के बढ़े हुए आरक्षण के पक्ष में वकील खड़े किए थे। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह भी वर्चुअल मोड से जुड़ी थीं।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत 27% ओबीसी आरक्षण को अनुचित करार दिया। जबकि रामेश्वर सिंह ठाकुर ने 27% ओबीसी आरक्षण का समर्थन किया। सरकार की ओर से भी समर्थन में तर्क रखे गए। यूथ फॉर इक्वेलिटी की ओर से एक याचिका पेश की गई थी। जिस पर शुरुआती सुनवाई के बाद राज्य शासन से जवाब-तलब कर लिया गया था। इसके लिए 20 सितंबर तक की मोहलत दी गई थी।
मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक बरकरार रहेगी, हाईकोर्ट ने कहा- अब अंतिम फैसला सुनाएंगे
सरकार का नया आदेश चुनौती योग्य: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता यूथ फॉर इक्वेलिटी की ओर से अधिवक्ता सुयश ठाकुर ने दलील दी कि राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने दो सितंबर, 2021 को ओबीसी आरक्षण के संबंध में जारी नया आदेश चुनौती के योग्य है। क्योंकि यह आदेश ओबीसी आरक्षण मामला कोर्ट में लंबित होने के बावजूद मनमाने तरीके से जारी किया गया है। हाईकोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में पहले से चला आ रहा स्थगन आदेश वापस लेने से इनकार कर लिया था।
27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना के समर्थन में केवियेट दायर