जबलपुरमध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक बरकरार रहेगी, हाईकोर्ट ने कहा- अब अंतिम फैसला सुनाएंगे

हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को ओबीसी के लिए बढ़े हुए 13% आरक्षण पर रोक लगा दी थी

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 20 सितंबर तय की है। राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने पक्ष रखा। उन्होंने स्टे आदेश हटाने या अंतरिम आदेश देने की मांग की।

चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की अध्यक्षता वाली डबल बेंच में मामले में लंबी बहस चली। अंत में चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक ने कहा कि ढाई साल से मामला चल रहा है। अब केस आखिरी दौर में है। ऐसे में हाईकोर्ट पूरी सुनवाई के बाद ही अंतिम फैसला सुनाएगी। दरअसल, हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई आखिरी दौर में है। बहस के दौरान सभी आवेदकों का पक्ष सुना जा रहा है।

कमलनाथ सरकार ने ओबीसी के लिए 13% आरक्षण सीमा बढ़ाई थी

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से आज अंतिम सुनवाई मानकर हाईकोर्ट से ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने की अपील की गई थी। प्रदेश में 50% आरक्षण सीमा थी।.तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने ओबीसी को 27% का आरक्षण देने का अध्यादेश लाकर आरक्षण की सीमा को 13% बढ़ा दिया था। ऐसे में प्रदेश में तय सीमा से ज्यादा आरक्षण 63% हो गया था। सामान्य वर्ग को मिल रहे 10% आरक्षण को मिलाकर आरक्षण की सीमा 73% हो गई थी। हालांकि मामला कोर्ट पहुंचा तो 19 मार्च 2019 को बढ़े हुए 13% आरक्षण पर रोक लगा दी गई।

सरकार ने इंदिरा साहनी केस का हवाला दिया

सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि प्रदेश में 50% से ज्यादा ओबीसी की आबादी है। इनके सामाजिक, आर्थिक और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 27% आरक्षण जरूरी है। 1994 में इंदिरा साहनी केस का हवाला भी दिया। सरकार ने कहा कि तब सुप्रीम कोर्ट ने विशेष परिस्थितियों में 50% से ज्यादा आरक्षण देने का प्रावधान रखने को कहा है।

याचिकाकर्ता ने मराठा रिजर्वेशन खारिज करने का तर्क दिया

छात्रा असिता दुबे समेत अन्य की ओर से हाईकोर्ट में सरकार के 27% आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई है। याचिका कर्ताओं के वकील आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि 5 मई 2021 को मराठा रिजर्वेशन को भी सुप्रीम कोर्ट ने 50% से ज्यादा आरक्षण होने के आधार पर खारिज किया है। इसी तरह की परिस्थितियां मध्य प्रदेश में भी हैं।

महाधिवक्ता ने सरकार को दिया है अभिमत

पिछले दिनों महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने सरकार को अभिमत दिया था। उन्होंने कोर्ट में चल रहे 6 केसों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में 27% आरक्षण लागू करने के लिए स्वतंत्र बताया था। इसमें प्रवेश परीक्षाएं और अन्य सभी नियुक्तियों में सरकार 27% आरक्षण लागू कर सकती है।

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