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गर्भगृह में जो रामलला विराजे वो रामजी की मर्जी, मुझे मलाल नहीं!

ये रहे दूसरे श्वेत-धवल रामलला... राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने बनाई भगवान की प्रतिमा

अयोध्या से लौटकर राजीव सोनी। अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह के लिए तीन मूर्तियां बनाई गई थीं। उनमें सें कर्नाटक के मूर्तिकार योगीराज द्वारा बनाई रामलला की प्रतिमा चुनी गई। सफेद दूधिया मार्बल से रामलला की दूसरी प्रतिमा गढ़ने वाले मूर्तिकार राजस्थान के सत्यनारायण पांडे इस बात से प्रफुल्लित हैं कि उनके द्वारा बनाई गणेशजी और हनुमानजी की प्रतिमा गर्भगृह में प्राणप्रतिष्ठित की गई है। गर्भगृह के बाहर द्वारपाल जय-विजय और मंदिर के गेट पर विशाल हनुमान व गरुण के साथ हाथी-शेर की विशाल प्रतिमाएं भी उन्होंने ही पाषाण में उकेरी हैं। रामलला की तीसरी प्रतिमा कर्नाटक के मूर्तिकार गणेश भट्ट ने बनाई है। बाकी दोनों प्रतिमाएं भी अगले चरण में मंदिर के दूसरे तल पर विराजित की जाएंगी।

अयोध्या के विवेक सृष्टि भवन स्थित मूर्तिशाला में दुर्लभ सफेद मार्बल से रामलला की प्रतिमा को गढ़ने वाले मूर्तिकार पांडे दार्शनिक अंदाज में कहते हैं कि सब कुछ रामजी की मर्जी है। मैंने 7 महीने तक पूरी लगन और तपस्या के साथ अपना काम किया। मैं तो सिर्फ माध्यम था जैसी प्रेरणा होती गई उसी के अनुसार औजार चलाते गया। मैं सौभाग्यशाली हूं कि रामलला की प्रतिमा गढ़ने देश भर से जिन तीन मूर्तिकारों को मौका मिला उनमें मैं भी शामिल हूं। उनके बेटे पुनीत- प्रशांत सहित 10 लोगों की टीम 7 महीने डटी रही।

रामजी की सेवा करना अद्भुत अनुभव रहा

  • रामलला गढ़ने का अनुभव कैसा रहा, कितना समय लगा? रामजी की सेवा करना अद्भुत रहा। मूर्ति गढ़ना हमारी पूजा है, 7 महीने तक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जुट जाते थे।
  • गर्भगृह में श्यामल रामलला विराजे हैं, क्या कहेंगे? रामजी की मर्जी है, मुझे इस बात का बिल्कुल भी मलाल नहीं। मैंने जो प्रतिमा गढ़ी वह भी उन्हीं की प्रेरणा है।
  • बाल स्वरूप राम के भाव कैसे उतारे, मूर्ति की और विशेषताएं? बहुत रिसर्च की, मूर्ति में भगवान सूर्य और दशावतार का अंकन भी है।
  • अयोध्या में रहकर रामलला के अलावा दूसरी प्रतिमाएं भी बनाईं क्या? हां, गर्भगृह में विराजित गणेश- हनुमानजी, द्वारपाल जय-विजय। मंदिर के द्वार पर विशाल गरुण- हनुमानजी और हाथी-शेर भी मेरी टीम ने बनाए हैं।
  • मूर्ति के लिए चयनित सफेद मार्बल की और क्या विशेषता है? यह पत्थर दुर्लभ है, खान बंद हो चुकी है। 40 साल से रखा था,उसमें से रामलला अवतरित होंगे कल्पना नहीं थी। ताजमहल में लगे मार्बल से गुणवत्ता में यह कई गुना बेहतर है।

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