
हमास। बुधवार को अमेरिका और कतर की मध्यस्थता के बाद इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की गई। इस घोषणा के बाद, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि इजरायली हवाई हमलों में कम से कम 72 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े सिर्फ गाजा सिटी के दो प्रमुख अस्पतालों में पहुंचे शवों की कुल संख्या है। मंत्रालय ने इस बात की ओर भी इशारा किया कि असली संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के पंजीकरण विभाग के प्रमुख जहीर अल-वहीदी ने कहा, “कल का दिन बेहद खूनी था, लेकिन आज स्थिति और भी गंभीर हो गई है।”
बंधकों की रिहाई का सवाल
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्धविराम में देरी के लिए हमास के साथ आखिरी समय में पैदा हुई संकट को जिम्मेदार ठहराया। इस समझौते का उद्देश्य गाजा में लंबे समय से जारी संघर्ष को रोकना और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना है। समझौते के तहत गाजा से कई बंधकों को रिहा किया जाएगा और इजरायल में कैद फलस्तीनी बंदियों को भी लौटने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, युद्धविराम के बाद भी इजरायली हमलों का सिलसिला जारी है, जिससे क्षेत्र में तनाव बना हुआ है।
तीन चरणों में लागू होगा समझौता
इस युद्धविराम समझौते को तीन चरणों में लागू करने की योजना है। पहला, सभी पक्ष संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में सहमत होंगे। दूसरा, बंधकों की रिहाई और कैदियों को उनके संबंधित क्षेत्रों में भेजने का काम होगा और आखिरी युद्ध में तबाह हुए गाजा के पुनर्निर्माण और मानवीय सहायता के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।
यह समझौता इजरायली कैबिनेट की मंजूरी के बाद रविवार से लागू हो सकता है। हालांकि, कई विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि मौजूदा हालात को देखते हुए इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है।
पिछले 15 महीने से जारी है संघर्ष
15 महीने से जारी इस संघर्ष ने गाजा पट्टी में तबाही मचा दी है। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, हजारों की मौत हो चुकी है और बुनियादी सुविधाओं का संकट चरम पर है। युद्धविराम की घोषणा के बावजूद इजरायली हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे। दुनिया भर में इस संघर्ष को रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। गाजा के हालात को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युद्धविराम को सख्ती से लागू नहीं किया गया, तो यह समझौता भी विफल हो सकता है।
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