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गोकुलोत्सव- ब्रजोत्सव महाराज ने राग मेघ में छेड़ी ‘गरज- घुमड़ गरजत’ बंदिश

भारत भवन में तीन दिवसीय गायन पर्व का शुभारंभ

भारत भवन में शुक्रवार की शाम राग भुपाली और राग मेघ के गीतों से सजी हुई नजर आई। कार्यक्रम की शुरुआत निर्भय सक्सेना ने की, जिनके गुरु पद्मश्री पंडित उल्हास कशालकर और पद्मविभूषण विदुषी गिरिजा देवी थीं। निर्भय ने राग भुपाली विलंबित तिलवाड़ा में, जब मैं जानी तिहरी बात … गीत की प्रस्तुति दी। इसके बाद उन्होंने मध्यलय तीन ताल में, जब से तुम्ही संग लागी …, गीत श्रोताओं को सुनाया। इन दो गीतों के बाद तराना पेश किया। कार्यक्रम के पहले चरण का अंत उन्होंने पूरब अंग का दादरा सांवरिया प्यारा रे मोरी गुइयां… सुनाकर किया। दूसरे चरण की शुरुआत पंडित गोकुलोत्सव महाराज और उनके सुपुत्र ब्रजोत्सव महाराज के गायन से हुई। उन्होंने शास्त्रीय गायन में राग मेघ की प्रस्तुति दी। उन्होंने बरखा ऋतु आई …. और फिर गरज-घुमड़ गरजत… गीत की प्रस्तुति दी।

तराना और दादरा की दी प्रस्तुति

निर्भय सक्सेना ने तराना और दादरा की प्रस्तुति दी। इस दौरान तबले पर अजिंक्य गलांदे, हारमोनियम पर जितेंद्र शर्मा और तानपुरा पर तनवर खान ने संगत की। 23 सितंबर को आकाश तिवारी व सुनंदा शर्मा का गायन होगा।

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