
भोपाल। पुलिस मुख्यालय स्थित पुलिस ऑफिसर्स मेस में गुरुवार से जीवा वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें द प्रैकेडमिक एक्शन रिसर्च इनिशिएटिव फॉर मल्टीडिसिप्लिनरी एप्रोच लैब (परिमल) और जस्टिस इंक्लूशन एंड विक्टिम एक्सेस (जीवा) की गतिविधियों से संबंधित वार्षिक रिपोर्ट पेश की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने की, जबकि विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव बीके द्विवेदी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे।
चार पुलिस अफसर हुए सम्मानित
पहले दिन की एक्सेस टू जस्टिस, इंक्लूशन एंड एविडेंस बेस्ड प्रेक्टिस थीम के अंतर्गत जेंडर, लॉ इंफोर्समेंट एंड एविडेंस बेस्ड प्रेक्टिस विषय पर विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का पहला दिन महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर केंद्रित रहा। अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने महिला ऊर्जा हेल्प डेस्क एवं संचालन के संबंध में शोधपत्र प्रस्तुत किए। इस दौरान चार पुलिस अधिकारियों एडीजी डॉ. जीके गोस्वामी (यूपी पुलिस), मप्र पुलिस मुख्यालय में आईजी (एडमिनिस्ट्रेशन) दीपिका सूरी, एआईजी डॉ. वीरेंद्र मिश्रा और नई दिल्ली सीबीआई में पदस्थ एसपी प्रवीण मंडलोई को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
आर्थिक संकट से उबारने में भी मदद कर रही पुलिस
भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा- हमारे जीवन में तकनीक का जो प्रवेश हुआ है उसने न्याय की लड़ाई को धार दी है, पारदर्शिता दी है। महिलाओं से जुड़े अपराधों को रोकने में तकनीक का काफी लाभ हुआ है। इसी तरह डायल 100 में जो कॉल आते हैं, हम पाते हैं कि ये किसी विशेष क्षेत्र से होते हैं, हम इनकी मैपिंग कर ऐसे इलाकों को चिह्नित कर सकते हैं और इन पर निगरानी रख सकते हैं। पुलिस अपने संसाधनों और तकनीक का प्रयोग ऐसे स्थानों पर कर सकती है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। पुलिस कई बार अपनी वैधानिक परिधि से बाहर आकर भी समाज में अपना योगदान देती है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को न्याय दिलाने में पुलिस अपनी इसी परिधि से बाहर आकर कार्य कर रही है। पुलिस ने हेल्प डेस्क स्थापित की है और इसका सीधा लाभ नागरिकों को हो रहा है। पुलिस न केवल नागरिकों के सामाजिक मुद्दों को सुलझा रही है, बल्कि उपेक्षा के शिकार और आर्थिक संकट से उबारने में भी मदद कर रही है।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
कार्यशाला में सीबीआई और मध्यप्रदेश पुलिस से सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला, मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय में आईजी (एडमिनिस्ट्रेशन) दीपिका सूरी, आईपीएस सुषमा सिंह, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी की प्रो. गीता ओबेरॉय, यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया के प्रोफेसर संदीप सुखंतकर एवं प्रोफेसर गेब्रियला, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर अक्षय मंगला उपस्थित रहे। संचालन परिमल के सचिव एवं डीसीपी डॉ. विनीत कपूर ने किया। उद्घाटन सत्र का आभार प्रदर्शन एसपी पीटीएस, पचमढ़ी निमिषा पांडे और प्रथम दिवस के समापन सत्र में आभार प्रदर्शन मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी, भौंरी के डिप्टी डायरेक्टर मलय जैन ने किया।
पूर्व डीजीपी शुक्ला बोले- इन्वेस्टिगेशन का दायरा बढ़ा
मध्यप्रदेश के पूर्व डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई हम सैकड़ों वर्षों से हम अपने अनुभवों के आधार पर करते आए हैं। इसमें धीरे-धीरे सुधार हुआ है। क्रिमिनल इन्वेस्टीमेशन मात्र 200 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। उसमें भी हम धीरे-धीरे प्रगति की ओर अग्रसर हैं। साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन शामिल होता आया है। पहले कुछ सीमित क्षेत्र तक इंवेस्टीगेशन होता था, इसमें आरोपी और पीड़ित एक ही क्षेत्र के हुआ करते थे। वर्तमान में आरोपी और फरियादी कहीं के भी हो सकते हैं। पिछले दो दशकों में महिला अपराध काफी बढ़े हैं। भारत जैसे देश में इंटरनेट की दुनिया में महिलाओं की सुरक्षा बहुत बड़ी चुनौती है। प्रतिदिन नई चुनौतियां सामने आ रही हैं और हम उनका सामना कर रहे हैं। कई पुलिस अधिकारियों ने अपने दायित्वों के साथ रिसर्च में रुचि ली है। समाज में अपने योगदान के लिए उन्होंने कर्तव्यों का निष्ठा से निर्वहन किया। यह आसान नहीं है, क्योंकि जिस तेजी से परिवर्तन होता है, उस तेजी से प्रैक्टिसेस में बदलाव संभव नहीं है। वर्तमान परिदृश्य में छोटे विवादों को सुलझाने की अन्य व्यवस्था निष्फल हो चुकी है। केवल पुलिस ऐसे विवादों को सुलझा रही है। कार्रवाई के दौरान यह ध्यान रखना होता है कि आरोपी और पीड़ित दोनों के अधिकारों का हनन नहीं हो रहा हो। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि न्याय की गुहार लगाने वाले का पड़ला भारी हो।
महिलाओं के सशक्तिकरण पर दें जोर : बीके द्विवेदी
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीके द्विवेदी ने कहा कि सही न्याय तभी मिल पाता है , जब विवेचना अच्छे ढंग से की गई हो। तकनीक के सहयोग से विवेचना की गुणवत्ता बढ़ी है। यही वजह है कि न्याय पालिकाओं के जो निर्णय आ रहे हैं वो सही और अच्छे आ रहे हैं। आगामी समय में यह और अच्छे होते रहेंगे। चुनौतियां यदि जीवन में नहीं होगी तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे।