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इंदौर : यातायात विभाग ने बस पर की चालानी कार्रवाई, आरटीओ विभाग की लापरवाही भी हुई उजागर

हेमंत नागले, इंदौर। मध्य प्रदेश के खरगोन में बस हादसे में 26 लोगों की मौत के बाद भी आरटीओ विभाग की लापरवाही लगाता सामने आ रही है। कई बार बिना किसी जांच के आरटीओ बसों की परमिट और फिटनेस जारी कर देता है। हाल ही में यातायात विभाग ने अस्थाई परमिट पर सवारी लेकर शहर से बाहर जा रही एक बस पर चालानी कार्रवाई की। इस दौरान हॉर्न का प्रेशर चेक करने पर उसकी डेंसिटी भी ज्यादा पाई गई।

क्या है पूरा मामला

इंदौर यातायात विभाग लंबी दूरी तय करने वाली बसों के साथ ही शहर के आसपास छोटे जिलों में चलने वाली बसों की स्पीड, फिटनेस और परमिट भी चेक कर रहा है। शनिवार रात को इंदौर यातायात विभाग के सूबेदार कासिम रिजवी द्वारा तेज ध्वनि और ध्वनि प्रदूषण फैला रहे लंबी दूरी तय करने वाली बस पर कार्रवाई की गई।

यह बस इंदौर से पुणे एप्पल ट्रैवल की बस एमपी 09 एफ ए 9712 थी। जब बस का परमिट चेक किया गया तो महज 15 दिन का परमिट बनवा कर बस संचालक इंदौर से पुणे सवारी लेकर जा रहा था। कार्रवाई हॉर्न के प्रेशर होने की थी लेकिन उसमें अस्थाई परमिट लेकर वह शहर से बाहर जा रहा था। ऐसे में आरटीओ विभाग की गलती साफ दिखाई देती है कि केवल कागजों पर ही वह परमीटे व फिटनेस बसों को दे देता है और हादसे होने पर अपने हाथ खड़े कर देता है।

10 हजार का काटा चालान

प्रेशर हॉर्न चेक करने पर इसकी डेंसिटी 100 से ज्यादा निकली। मनुष्य के कानों के लिए 90 डेंसिटी भी खतरनाक मानी जाती है। सूबेदार कासिम रिजवी ने बताया कि, शहर में प्रेशर हॉर्न जो कि बसों और ट्रकों में लगातार बायपास सहित शहर की सीमा में तेजी से बजाए जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए इनपर कार्रवाई की जा रही है। यातायात विभाग द्वारा बसा का 10 हजार का चालन भी बनाया गया। इसके साथ ही प्रेशर हॉर्न भी निकाल दिया गया।

डीपीएस बस हादसा नहीं भूल पाए लोग

5 साल पहले 2018 में इंदौर DPS बस हादसे में कई मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। जिसमें बस बिल्कुल भी फिट नहीं थी उसके बावजूद भी आरटीओ विभाग द्वारा उसकी फिटनेस दे दी गई थी। उस हादसे में अब तक न्यायालय के समक्ष प्रकरण विचाराधीन है और अब तक दोषियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है। उसके बावजूद भी आरटीओ विभाग आंखें मूंदकर फिटनेस और परमिट बांट रहा है।

आरटीओ की लापरवाही से होते हैं हादसे

आरटीओ विभाग के कई अधिकारी पैसे लेकर की परमिट और फिटनेस जारी कर देते हैं। जिसके बाद सड़कों पर खड़ी यातायात हमेशा ऊपर चालानी करवाई करते नजर आती है। आरटीओ विभाग की लापरवाही की वजह से कई हादसे हो जाते हैं।

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