इंदौरताजा खबरमध्य प्रदेश

Indore News : जीतू यादव ने नाम को लेकर बड़ा खुलासा, नगर निगम के नामांकन में जीतू देवतवार नाम था दर्ज, गलत जानकारी देने पर पार्षदी होगी निरस्त!

इंदौर। शहर के बीजेपी पार्षद कमलेश कालरा और जीतू यादव (जाटव) के बीच चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। बीजेपी ने जीतू यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है, जबकि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ जांच तेज कर दी गई है। इस विवाद में एक ओर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें जीतू यादव के चुनावी शपथ पत्र और संपत्ति से जुड़े अहम तथ्य सामने आए हैं।

नामांकन में गड़बड़ी और गलत जानकारी

जीतू यादव ने नगर निगम चुनाव के नामांकन पत्र में खुद को “जितेंद्र कुमार देवतवार” के नाम से दर्ज कराया था, जबकि उनका वास्तविक नाम “जीतू यादव” या “जीतू जाटव” के रूप में ही जाना जाता था। अगर यह साबित होता है, तो उनकी पार्षदी निरस्त हो सकती है।

चुनावी शपथ पत्र में जीतू यादव ने अपनी संपत्ति और वार्षिक आय का विवरण भी दिया था, जिसमें उन्होंने अपनी वार्षिक आय 7.56 लाख रुपये और 12 लाख रुपये की कीमत वाले 400 वर्गफीट के मकान का उल्लेख किया था। हालांकि, उनकी संपत्ति के बारे में सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि पुलिस की जांच में उनके पास करोड़ों रुपये की संपत्ति होने का संदेह है।

आपराधिक रिकॉर्ड की जांच

शपथ पत्र में जीतू यादव ने 2017 और 2019 में दर्ज दो आपराधिक मामलों का उल्लेख किया है, जिनमें जुआ खेलना, सरकारी अफसरों को धमकाना, बलवा, हत्या की कोशिश और लूट के आरोप शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि जीतू यादव 1999 से 2019 तक तीन बार गिरफ्तार हो चुके हैं।

कमलेश कालरा के घर पर हमला

इस विवाद के बीच, पार्षद कमलेश कालरा के घर पर हमला हुआ था। अब तक इस मामले में 13 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और पुलिस हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। पुलिस ने मंगलवार को नितिन उर्फ बंटी सुभाष भोरुड़ को गिरफ्तार किया, जो तिरुपति बालाजी के दर्शन करने गया था और एसआईटी ने उसकी मोबाइल लोकेशन के आधार पर देवास से पकड़ा। बंटी ने पूछताछ में जीतू के भाई अभिलाष यादव का नाम लिया है, जो घटना के बाद से फरार है।

पार्षद का निष्कासन

बीजेपी ने जीतू यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसके अलावा, पुलिस ने उनके खिलाफ विशेष जांच दल (SIT) बनाई है और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया जारी

संबंधित अधिकारियों के अनुसार, यदि जीतू यादव द्वारा दी गई जानकारी गलत पाई जाती है, तो उनकी पार्षदी निरस्त की जा सकती है। इसके अलावा, जीतू यादव की संपत्ति की भी गहन जांच की जा रही है। इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से इंदौर में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

संबंधित खबरें...

Back to top button