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राजनीतिक हस्तक्षेप और कार्रवाई पर इंदौर पुलिस का सोशल विरोध हुआ वायरल, भोपाल में भी सिपाही से लेकर अफसर तक सभी ने लगाया वाट्सएप स्टेटस, “खाकी का भी तो मान है ना…”

- एबीवीपी की शिकायत पर तीन पुलिसकर्मी हुए थे लाइन अटैच

भोपाल। कुछ दिनों पहले इंदौर के पलासिया थाने पर बजरंग दल पर पुलिसकर्मियों द्वारा लाठीचार्ज के बाद डीसीपी का ट्रांसफर और टीआई को लाइन अटैच कर दिया गया था। इस मामले में शुक्रवार को इंदौर पुलिस के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने व्हाट्सएप स्टेटस पर “खाकी का भी तो मान है ना…” लिखकर विरोध जताया। ये घटनाक्रम शुक्रवार की सुबह शुरू हुआ और देखते ही देखते सिपाही से लेकर टीआई स्तर तक के सभी पुलिसकर्मियों ने इसे अपने मोबाइल में लगाया।

इकतरफा कार्रवाई का विरोध भोपाल में भी

गौरतलब है कि इंदौर के पुलिस लाठीचार्ज के बाद एक और वीडियो सामने आया था, जिसमें बजरंग दल के कार्यकर्ता पुलिसकर्मियों पर पत्थर बरसाते नजर आ रहे थे। जिसके बाद सभी पुलिसकर्मी सोशल मीडिया पर एक तरफा की गई कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। पुलिस का ये सोशल विरोध भोपाल भी पहुंच गया।

राजधानी में विगत दिनों एबीवीपी के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर बिलखिरिया थाने के प्रभारी के साथ ही वहां पदस्थ सब इंस्पेक्टर और सिपाही को लाइन अटैच कर दिया गया था। ऐसे में भोपाल के पुलिसकर्मी इसी वजह से यही वाट्सएप स्टेटस अपने मोबाइल में लगा रहे हैं।

अपनी बात को रखना लोकतांत्रिक अधिकार है

इस संबंध में हमने भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। वहीं इस मामले को लेकर प्रदेश के रिटायर्ड डीजीपी एससी त्रिपाठी का कहना है कि संयत भाषा में अपनी बात को अभिव्यक्त करना लोकतांत्रिक अधिकार है।

सभी पुलिसकर्मियों ने लगाया स्टेटस।

कार्रवाई के बाद भी एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने की तोड़फोड़

विगत दिनों एबीवीपी के कार्यकर्ता एक निजी कॉलेज द्वारा परीक्षा फॉर्म जमा करने के नाम पर वसूल रहे मनमानी फीस का विरोध करने हथाईखेड़ा गए थे। यहां कॉलेज प्रबंधन से विवाद के बाद दोनों पक्ष बिलखिरिया थाने आ गए थे। यहां एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने कार्रवाई न होने पर चक्कजाम कर दिया था। इसके बाद पुलिस के आला अफसरों ने मौके पर जाकर वहां पदस्थ थाना प्रभारी बीपी सिंह के साथ ही सब इंस्पेक्टर और एक सिपाही को लाइन अटैच कर दिया था। कार्रवाई हो जाने के बाद अगले दिन एबीवीपी ने कॉलेज में जाकर वहां जमकर तोड़-फोड़ की थी और पुलिस ने कोई दखल नहीं दिया था।

गौरतलब है कि पुलिस मैनिअल के मुताबिक, पुलिसकर्मी न तो संगठन बना सकते हैं और न ही विरोध-प्रदर्शन कर सकते हैं। ऐसे में पुलिस ने खाकी की इज्जत बचाने का दावा करते हुए सोशल मीडिया को अपनी बात कहने का जरिया बनाया है।

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