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वोटर्स को लुभाने के लिए दिवंगत नेताओं को किया जाएगा जिंदा

चुनाव प्रचार के लिए एआई का इस्तेमाल करेंगी पार्टियां

नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े चुनावी उत्सव का बिगुल बजते ही राजनीतिक पार्टियां बड़े स्तर पर सोशल मीडिया का प्रयोग तो कर ही रही हैं, साथ ही इस बार आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) भी बड़ा फैक्टर साबित होने जा रहा है। इसबीच खबर है कि देश की दो प्रमुख पार्टियां लोकसभा चुनावों के मद्देनजर एआई तकनीक का फायदा उठाने जा रही हैं। इसकी मदद से वे अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टी के कुछ ऐसे मृत नेताओं को जिन्दा करेंगी, जो अपने जीवनकाल में मतदाताओं में काफी लोकप्रिय रहे थे।

इनमें भाजपा भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और कल्याण सिंह आदि के एआई अवतारों के जरिए अपनी उपलब्धियां गिनाएगी। वहीं, कांग्रेस महात्मा गांधी, नेहरू और सरदार पटेल के अवतारों की मदद से भाजपा के कांग्रेसी सरकारों के खिलाफ प्रचार अभियान का मुकाबला करेगी।

दिवंगत नेता अपनी आवाज में यूजर को उनके नाम से करेंगे संबोधित :एआई की मदद से जिन दिवंगत नेताओं को जिन्दा किया जाएगा, उनकी आवाज भी वास्तविक नेताओं जैसी होगी। यही नहीं, ये यूजर को उसके नाम से संबोधित करने में भी सक्षम होंगे।

कैसे किया जा रहा है प्रयोग

  • 2024 के लोकसभा चुनाव में वॉट्सऐप जैसे मेसेजिंग मंच और सोशल मीडिया एन्एंफ्लूसर्स का सहारा तो लिया ही जाएगा, साथ ही एआई के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का प्रयास भी किया जाएगा।
  • चुनाव में पार्टियों को पूरे देश में प्रचार करना पड़ता है। दक्षिण भारत जैसे राज्यों में जब उत्तर भारत के नेता प्रचार करते हैं तो उनके भाषणों को अलग- अलग भाषाओं में बदलने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, मराठी, उड़िया और मलयालम जैसी भाषाओं में भी भाषण सुना जा सकता है।

पड़ोसी देशों में एआई का प्रयोग

पाक में इमरान ने किया था प्रयोग : पाक में हाल ही में चुनाव संपन्न हुए हैं और यहां एआई का इस्तेमाल देखने को मिला था। इमरान खान की पार्टी ने उनके नए भाषणों में उनकी आवाज की कॉपी करने के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल किया।

बांग्लादेश में हुआ था विरोध :हाल ही में बांग्लादेश के चुनाव में विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि सरकार समर्थक लोगों ने एआई का दुरुपयोग किया और विपक्ष को नीचा दिखाने के लिए डीपफेक वीडियो बनाए।

फेसबुक-इंस्टाग्राम पर नजर रखेगी 40,000 लोगों की टीम

इस बीच फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा ने भी भारत में लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। कंपनी चुनाव के दौरान भ्रामक खबरों, फोटो और वीडियो पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। कंपनी चुनाव के दौरान गलत जानकारी फैलने से रोकने और ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने की कोशिश करेगी। कंपनी दुनिया भर में बचाव व सुरक्षा जैसे विषयों पर 40,000 लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है।

तेजी से फैलती है फेक न्यूज, रोक लगाना भी चुनौती है

एआई तकनीक को लेकर चुनौतियां भी कम नहीं हैं। फेक न्यूज या गलत जानकारी भी इस तकनीक के जरिए तेजी से फैल सकती है। इस पर अंकुश लगाना भी एक चुनौती होगा। डीपफेक भी एक तरह से एआई का ही रूप है, जिसका उपयोग विश्वसनीय भ्रामक छवि और विडियो बनाने के लिए किया जा सकता है। – विराग गुप्ता, साइबर कानून विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील

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