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जस्टिस यूयू ललित बने भारत के 49वें चीफ जस्टिस, कई महत्‍वपूर्ण मामलों में सुना चुके हैं फैसला

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उदय उमेश ललित देश के 49वें चीफ जस्टिस नियुक्त हुए हैं। इस बारे में सरकार ने नोटिफिकेशन बुधवार को जारी कर दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस एनवी रमना 26 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। जस्टिस ललित वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज बने हैं।

CJI के रूप में जस्टिस ललित उस कॉलेजियम का नेतृत्व करेंगे, जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस नजीर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी शामिल होंगे।

74 दिनों के लिए ही CJI बनेंगे यूयू ललित

जस्टिस यूयू ललित इस समय सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज हैं। बता दें कि CJI रमना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस उनके नाम की सिफारिश की थी। इसके साथ ही सिफारिशी पत्र कानून और न्याय मंत्री को सौंपा था। हालांकि, जस्टिस ललित भी महज 74 दिनों के लिए ही CJI बनेंगे, क्योंकि 8 नंवबर को वह रिटायर हो जाएंगे।

कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं जस्टिस ललित

जस्टिस ललित सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के भी सदस्य थे। जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार दिया था। ये सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।

जस्टिस यूयू ललित बने भारत के 49वें चीफ जस्टिस

जस्टिस ललित की पीठ ने ही ‘स्किन टू स्किन टच’ पर फैसला दिया था। इस फैसले में माना गया था कि किसी बच्चे के शरीर के यौन अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कृत्य पॉक्सो अधिनियम की धारा-7 के तहत ‘यौन हमला’ ही माना जाएगा। पॉक्सो अधिनियम के तहत दो मामलों में मुंबई हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले को खारिज करते हुए जस्टिस ललित की पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट का यह मानना गलती था कि चूंकि कोई प्रत्यक्ष ‘स्किन टू स्किन’ संपर्क नहीं था इसलिए यौन अपराध नहीं है।

कौन हैं जस्टिस यूयू ललित ?

न्यायमूर्ति ललित का जन्म 9 नवंबर 1957 को हुआ था। उन्होंने जून 1983 में एक वकील के रूप में काम करना शुरू किया और दिसंबर 1985 तक मुंबई उच्च न्यायालय में वकालत की। इसके बाद में वह दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। इससे पहले, 2G स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। उन्हें 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

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