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IPCC Report : वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री पर थामना है तो 2035 तक 65 फीसदी तक घटाना होगा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन

संयुक्त राष्ट्र के अंतरसरकारी पैनल की रिपोर्ट में चेतावनी

वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि धरती को बाढ़, लू एवं  सूखे की ओर धकेलने वाली खतरनाक ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का वक्त तेजी से हमारे हाथ से निकलता जा रहा है। दुनियाभर के सैकड़ों अग्रणी वैज्ञानिकों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया विभिषिका के उस बिंदु के करीब पहुंच रही है, जहां से वापसी संभव नहीं होगी। हालांकि, अभी भी इस आपदा को रोका जा सकता है।

इंसानों के कारण हो रहा जलवायु परिवर्तन

स्विट्जरलैंड के इंटर्लाकन में हफ्ते भर चले विचार-विमर्श के बाद जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतरसरकारी पैनल की सिंथेसिस रिपोर्ट पर सहमति बनी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान इस बात को लेकर स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन इंसानों के कारण हुआ है। इसमें चेतावनी दी गई है कि वर्तमान में धरती 2081 से 2100  तक 2.7 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान तक पहुंचने की राह पर है। यह स्थिति तब बनेगी, जब ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन मध्यम स्तर पर हो, लेकिन यदि इस गैस का उत्सर्जन काफी कम हो तो वैश्विक तापमान को 1.4 डिग्री सेल्सियस पर रोका जा सकता है। इस स्थिति को प्राप्त करने के लिए दुनिया को कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में 1990 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक 48 प्रतिशत, 2035 तक 65 प्रतिशत, 2040 तक 80 प्रतिशत और 2050 तक 99 प्रतिशत कमी लानी होगी।

तापमान बढ़ने से ये खतरे

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वक्त पूरी दुनिया में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में भारी कटौती की जरूरत है नहीं तो धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की तय सीमा से ऊपर चला जाएगा।  इसके बाद जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा उसी के अनुसार धरती पर तबाही बढ़ती जाएगी। तापमान बढ़ने का घातक नतीजा यह होगा कि इससे बर्फ के पहाड़ों के पिघलने के कारण समुद्र का स्तर बढ़ने लगेगा, कोरल रीफ्स एवं ग्लेशियर्स घटने लगेंगे साथ कृषि, वानिकी, मत्स्यपालन, ऊर्जा एवं पर्यटन को भारी आर्थिक हानि होगी।

 

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