
भोपाल। मंगलवार को डॉ मोहन यादव कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। सबसे बड़ा फैसला प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के विलय का लिया गया। एक नवंबर 1956 को प्रदेश की स्थापना के बाद से ही दोनों विभाग अलग अलग थे। 68 साल बाद अब प्रदेश सरकार ने इन दोनों विभागों को एक कर दिया है।
एमपी देश का एकमात्र राज्य था, जहां दोनों विभाग अलग-अलग चल रहे थे। सरकार का दावा है कि इस नए फैसले से राज्य में उपचार की सुविधाएं पहले से बेहतर हो जाएंगी। सरकार ने अब मप्र आयुर्वेदिक विवि अधिनियम 2011 में भी संशोधन का फैसला लिया है। इसके बाद अब आयुर्वेद विवि नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स भी संचालित कर सकेंगे।
#भोपाल : #मोहन-कैबिनेट की बैठक में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग को मर्ज करने के फैसले पर लगी मुहर, अब एक ही विभाग होगा। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री #कैलाश_विजयवर्गीय ने दी जानकारी, देखें #VIDEO @KailashOnline @CMMadhyaPradesh@DrMohanYadav51 #MohanCabinet #CabinetMeeting… pic.twitter.com/DK7Tp9OOwL
— Peoples Update (@PeoplesUpdate) January 23, 2024
दो वाटर प्रोजेक्ट्स को भी मंजूरी
कैबिनेट के अहम फैसलों की जानकारी देते हुए प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि अशोकनगर जिले के मुंगावली में 87 करोड़ की लागत से मल्हारगढ़ लिफ्ट इरिगेशन को स्वीकृति दे दी गई है। इस प्रोजेक्ट में जेपी थर्मल प्रोजेक्ट बीना द्वारा बेतवा नदी पर बने बैराज से पानी लेकर 26 गांवों की 7500 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। इसके साथ ही रतलाम जिले में 204 करोड़ की मंझूरिया परियोजना को भी मंजूरी मिल गई है। इसके तहत 1 हजार आदिवासी बाहुल्य गांवों को स्वच्छ पेयजल मिल सकेगा।
अफसरों को अदालती शक्तियां देने की तैयारी
राज्य सरकार ने जल प्रदूषण निवारण अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र को भेजने का फैसला लिया है। इस एक्ट के तहत अब तक छोटे-छोटे मामले अदालत जाते थे और उद्योगपतियों को परेशानी होती थी। सरकार ने निर्णय लिया है कि अब विभाग के अफसरों को ही अदालती शक्तियां मिल जाएंगी तो उद्योगों की राह में आने वाली अड़चन दूर हो जाएगी।
इसके अलावा प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में एमपी माल एवं सेवा कर अध्यादेश को विधेयक के रूप में आगामी विधानसभा सत्र में पेश करने का फैसला लिया है। यह अध्यादेश शिवराज सरकार द्वारा जारी किया गया था। हालांकि चुनावी प्रक्रिया के दौरान छह माह की तय समय सीमा में इस अध्यादेश को सदन में विधेयक के रूप में पेश नहीं किया जा सका। लिहाजा इसकी समय सीमा में वृद्धि की गई है।
अनुदान प्राप्त शिक्षकों को मिलेगा छठा वेतनमान
कैबिनेट की बैठक में जनजातीय कार्य विभाग के अनुदान प्राप्त शिक्षकों को छठा वेतनमान देने का निर्णय भी लिया गया। इन शिक्षकों को हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी छठा वेतनमान देने के आदेश सरकार को दिए थे। इसके साथ ही सभी जिलों में एक पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना को भी मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दे दी। ये सीएम डॉ. मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है।
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