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पाक को चुभ गई MP के CM की अखंड भारत की बात, जताई आपत्ति तो मुख्यमंत्री ने दिया करारा जवाब

भोपाल। अखंड भारत को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पाकिस्तान की आपत्ति पर करारा जवाब दिया। मंगलवार को मीडिया से डॉ. यादव ने साफ कहा कि अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब सांस्कृतिक अखंड भारत का सपना साकार होना है। इसलिए किसी के भी इस पर आपत्ति करने से यह बात खत्म नहीं होगी। भले ही पड़ोसी पाकिस्तान आपत्ति जताए, लेकिन सभी जानते हैं कि पहले यह अखंड भारत ही था।

गिना दिए अपने दावे के पक्ष में सबूत

डॉ. यादव ने सिंध से शरणार्थी बनकर विस्थापितों के भारत आने से लेकर ‘ननकाना साहिब और अन्य स्थानों का ब्यौरा देते हुए दावा किया कि अतीत में ये सभी अखंड भारत का ही हिस्सा थे। हम राष्ट्रगान में से सिंध को कैसे बाहर कर सकते हैं।

नश्तर की तरह चुभ गया था पाकिस्तान को बयान

एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को एक बयान में कहा था कि अयोध्या में नए राम मंदिर का निर्माण ‘अखंड भारत’ की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। सीएम ने कहा था, ईश्वर ने चाहा तो अफगानिस्तान तक अखंड भारत फिर बनेगा। मुख्यमंत्री ने एक आयोजन में कहा था ‘यह भगवान की इच्छा है कि भगवान राम के मंदिर का निर्माण अखंड भारत की दिशा में एक बड़ा कदम होना चाहिए। राम मंदिर निर्माण इसका पहला चरण है। हमारा समय खराब था, तो आक्रांताओं ने देश को छिन्न-भिन्न किया। हमारे आराध्य का मंदिर दुश्मनों की आंखों में खटकता था। समय खराब था आततायियों ने हमारे हाथ से वो छीना, लेकिन अब फिर से अखंड भारत बनेगा। आज नहीं तो कल न केवल सिंध या पंजाब तक, बल्कि अफगानिस्तान तक भी। हम सभी की इच्छा है कि हम ननकाना साहिब के दर्शन कर सकें।’ यह बयान पाक को नश्तर की तरह चुभ गया।

पाक ने जताई थी आपत्ति

डॉ मोहन यादव के इस बयान के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के ऑफिशियल हैंडल से कहा गया था कि भारत में हिंदुत्व विचारधारा का बढ़ता ज्वार धार्मिक सद्भाव और क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है। इस हैंडल पर लिखा गया कि भारत के दो प्रमुख राज्यों, यूपी और एमपी के सीएम ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस या राम मंदिर के उद्घाटन को पाकिस्तान के कुछ हिस्सों को फिर से हासिल करने की दिशा में पहला कदम बताया है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया पर संज्ञान लेना चाहिए। पाक के बयान में यह भी कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भारत में इस्लामी विरासत को चरमपंथी समूहों से बचाने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

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